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________________ वि० सं० ११०८-११२८] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास २३-राणकपुर २४-सादड़ी २५-चंदपुर २६-पद्मावती २७-भगवानपुर " " " " " " १-भादली २-नादुरकुली ३-खीखोड़ी ४-नागपुर ५-चाचाड़ी ६-रनपुर ७-गाजु ८-गोलु १-दोगण १०-डेढियाग्राम ११-डागीपुर १२-खेतड़ी १३-क्षत्रीपुरा १४-चंद्रावती १५-कुंतिनगरी १६-करणावती १७-भवानीपुर १८-रोलीग्राम १६-भुताग्राम २०-बड़नगर २१-थेरापद्रा २२-राजोड़ो २३-बुचोड़ी २४-मदनपुर २५-धनपुर प्राग्वट जाति के शाह पाता ने सूरिजी के पास दीक्षाली रामा ने राजा ने श्रीमाल दुगो ने " " हीदू ने आचार्यश्री के २० शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्टाएं समदड़िया जाति के शाह चोखाने भ० महा० के मन्दिर की प्र० आर्य अर्जुन ने , " " वीरा ने , " मंत्री सारंग ने ,, पाव पारख मेघा ने तातेड़ नागदेव बाफणा भोजा ने , , छाजेड़ कुम्भा ने , महा० सालेचा समर्थ ने , , के बोहरा नाथा ने भटेवरा गणधर ने " " देसरड़ा मोहण ने , आदी मडोवरा देसल ने , , प्राग्वट रोड़ा ने श्रीमाल देपाल ने ,, अजित शीशोदिया राणा ने , शान्ति करणावट कोला ने नाहटा चतराने हरपाल ने खजानची द्वारका ने प्राग्वट सी ने थ काग भुता ने नेना ने , " १-उपकेशपुर २-माडव्यपुर ३–मेदिनीपुर ४-आघटनगर गोमा ने श्रीमाल रामा ने ,, महावीर , प्राचार्यश्री के २० वर्षों के शासन में संघादि शुभ कार्य के श्रेष्टि जाति के शाह सांगा ने श्री शत्रुञ्जय का संघ निकाला के मंन्त्री , प्रभु रघुवीर ने के गुलेच्छ , केसवा ने के बाफणा , शाह जावडा ने सूरिजी के शासन में मन्दिरों की प्रातष्ठाएं १४७० Jain Education International For Private &Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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