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वि० सं० ६५२-१०११ ]
१६ पाल्हिका के २० - शाकम्भरी के
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२१ - नारदपुरी २२ - विजयपद्दन के
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२३- क्षत्रिपुर २४ - चर्पटनगर
२५- पद्मावती
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२६- नागपुर २७ - गोदांगी २८ -- उपकेशपुर के
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२६ -- कलिरा
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३० - लोद्रवा ३१ - चन्दावती के
बाफणा जाति के
राका
प्राग्वट
पोकरण
छाजेड़
भटेवड़ा
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प्राग्वटवंश के,
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[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
शाह नागदेव ने दुकाल में अन्न वस्त्र घास दिया
देवपाल ने
पोमल ने
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लाख की पत्नी जैती ने तालाब खुदवाया ।
बाकी विधवा पुत्री सुन्दर ने एक वापि बंधाई । राजी ने तालाब बनवाया ।
श्रेष्ट वीर समरथ
राखेचा वीर ठाकुरसी समदडिया वीर रुघवीर प्राग्वट वीर रोडा
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लाला की कोला की माता ने घाट बन्ध तालाब बंधाया । कनोजिया वीर वीरम युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई । कामदार वीर रणजीत
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इनके अलावा भी सूरीश्वरजी के शासन में अनेक महानुभावों ने अपनी न्यायोपार्जित चंचल लक्ष्मी को देश समाज एवं धर्म के हित व्यय करके कल्याणकारी पुन्य जमा किया उसमें जैसे आचार्यों का उपदेश था वैसे ही भावुक लोग सरल हृदय और भव भीरू थे कि ऐसे पुनीत कार्य में पीछे नहीं पर सदैव आगे पैर बढ़ाते ही रहते थे ।
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पट्ट पैंतालीस कक्कसूरीन्द्र आर्य्यगौत्र ऊजागर थे,
चन्द्र समान शीतलता जिनकी जैनधर्म प्रचारक थे 1 वीर वाणि उपदेशामृत से भव्यों का उद्धार किया,
प्रतिष्ठा श्री दीक्षा देकर शासन का उद्योत किया ॥
इतिश्री भगवान् पार्श्वनाथ के पैंतालीसवें पट्टधर कक्कसूरि नाम के महा प्रतिभाशाली आचार्य हुए।
सूरीश्वरजी
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