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वि० सं० ७७८-८३७ ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
हुए आपने श्रादिनाथ का मंदिर बनाकर प्रतिष्ठा करवाई जिसमें पुष्कल द्रव्य खर्च किया । मुगलोत्पात के समय सेट नारायणजी बाड़मेर गये वहां भी पुष्कल द्रव्य खर्च कर धर्म का उद्योत किया । इत्यादि ।
१५-सेठ विमलजी भंडशालीगोत्र कुलदेवीचामुंडा आपके परिवार में सेठ गंभीरजी बड़े ही भाग्यशाली हुए आपको जीर्ण मंदिरों के उद्वार करवाने की रुचि बहुत थी । कई ग्रामों का और जीर्ण मंदिरों का उद्धार काराया श्राप जितना दान करते थे वह सारा गुम ही करते थे भ. पार्श्वनाथ का नया मंदिर बनाकर प्रतिष्ठा करवाई साधर्मीभाइयों को मोदक के लडडूओं में एक एक स्वर्ण की मुद्रिका डाल कर प्रभावना इत्यादि दी । मुगलोत्पात के समय सेठ भोपालजी ने सिरोही जाकर वास किया इन्होंने भी बहुत धर्म कार्य किये । इत्यादि।
१६-सेठ खींवसीजी लोडियाणगोत्र कुलदेवी लक्ष्मी । खींवसीजी का देव गुरु धर्म और अपनी • कुलदेवी पर पक्का विश्वास था और पूर्ण इष्ट भी रखते थे एक समय खींवसीजी के घर में दरिद्र आ घुसा।
चोर, अग्नि और राज ने सब धन क्षय कर दिया फिर भी धर्म इष्ट को नहीं छोड़ा उल्टा धर्म कार्य बढ़ता ही रहा जब अति दुःखी हुये तो कुलदेवी का स्मरण किया धर्मनिष्ठ जानकर लक्ष्मीदेवी रात्रि में आई और खींवसी के इष्ट से प्रसन्न हो एक रत्न जड़ित नैवर प्रदान किया जिससे खींचसीजी का घर धन से भर गया पीछले दिन याद कर उस धन को धर्म कार्य में लगाया। भ० पार्श्वनाथ का मन्दिर बनाया तीर्थ की यात्रार्थ संघ निकाले बहुत द्रव्य खर्च किया। मुगलों के उत्पात के समय सेठ श्रीकरणजी ने जालौर जाकर वास किया वहाँ भी बहुत से धर्म कार्य किए । शत्रुजयादि तीर्थो का संघ निकाला और साधर्मी भाइयों को पहरावणी दी नगर के लोगों को भोजन कराया । इत्यादि ।
१७ - सेठ गोविंदजी चंडीसरागोत्र कुलदेवी सरस्वतीदेवी आपने तीर्थों का संघ निकाला । साधर्मी भाइयों को भोजन करवा कर पहरावणी दी जिसमें पुष्कल द्रव्य व्यय किया मुगलों के उत्पात के समय सेठ हरखाजी बाड़मेर गये वहाँ भी व्यापार में बहुत सा धन पैदा किया । भ० पार्श्वनाथ का मंदिर बनाया, तीर्थों का संघ निकाला । इत्यादि और भी जन कल्याणार्थ बहुत द्रव्य खर्च कर पुण्योपार्जन किया।
१८-सेठ लालजी पापागोत्र कुलदेवी आशापुरी । आप बड़े ही भाग्यशाली हुए भ० आदिनाथ का मंदिर बनाया प्रतिष्ठा में बहुत-सा द्रव्य व्ययकर नांबरी कमाई पूज्य श्राचार्यदेव को चातुर्मास कराया नवअंग की पूजा, की । मोतियों की गहुँली सुवर्ण मुद्रिका से ज्ञान पूजा की उस द्रव्य से पुस्तक लिखवा कर श्राचार्यश्री को अर्पण किये । मुगलों के उत्पात के समय में रतनजी भीनमाल से सिरोहो गये वहाँ भी सुकृत में बहुत द्रव्य खर्च किया गरीब साधर्मीभाइयों को गुप्त सहायता कर पुण्योपार्जन किया करते थे।
१९-सेठ रायजी काश्यपगोत्र कुलदेवी श्राशापुरी आपके परिवार में सेठ अगराजी भाग्यशाली हुए । शत्रंअयादि तीर्थों का संघ निकला आते जाते सब गांवों में लेन दी तीर्थ पर जर्ण मंदिरों का उद्धार कराया वापिस आकर साधर्मी भाइयों को भोजन करवा कर वस्त्र लड्डू और सुवर्ण मुद्रिकाएं पहरावणी में दी । लाखों रुपये खर्च किया मुगलों के उत्पात के समय सेठ भोपालजी जालौर गये तथा वहाँ सेठ रावजी कोमलमेर गये वहाँ भी धर्म कार्य में बहुत सा धन व्यय कर नाम हासिल किया। इत्यादि ।
२० -सेठ गोपालजी पीपलिया गोत्र कुलदेवी लक्ष्मी आपने भीनमाल में भ० अजितनाथ का मंदिर बनावा कर प्रतिष्ठा कराई जिसमें खुल्ले हाथ पुष्कल द्रव्य खर्च किया । मुगलोत्पात के समय सेठ नरबदजी ११८०
सेठिया जाति के दानवीर
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