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आचार्य ककसरि का जीवन
[ओसवाल संवत् ७३६-७५७
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, वासपूज
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., धर्म
शान्ति
पहावीर
१.-सिलोरा के श्रेष्टि गौ० चूड़ा ने भ० महावीर म० प्र० ११-डामरेल के भूरि गौ० जाला ने , शितल० १२-श्रालोर के अदित्य नाग० जोधा १३-जाबलीपुर के चोरलिया०
, विमल १४-गगरकोट के बलाह गी० । १५-त्रिभुवनगीरि के कुमट गौ० १६-मारोटगढ के कनोजिया० जैहिंग ने ,, महावीर १७-नारायणगढ़ के चिंचट गौ। नागड़ ने , १८-देवलकोट के सुचंति गौ. पर्वत ने , १९- कानपुर के श्री श्रीमाल अमाराने , आदीनाथ ,, २०-दुनारी के श्री श्रीमाल वोपा ने , पार्श्व २१-कोटीपुर के तप्तभट्ट गौर डुंगर ने , २२-वदनपुर के वाप्पनाग गौ० उरजणने , गोडीपार्श्व, २३-घूसीग्राम के फरणाट गी० कचरा ने २४ -- देपालपुर के कुलभद्र गौ. नोधण ने २५-अटालू
के विरहट गौ० २३-अरणी के चरण गौत्र० टेका ने , सीमंधर , , २७-पाल्हिका के सुघड़ गौ दुर्गा ने, शान्ति० , २८ - पुष्कर के लुंग गोत्र. मुकना ने, ६९ -मासी के प्राग्वट गौ वच्छा ने , महावीर , ३०.-जैतलपर के प्राग्वट गौ० नानग ने ,
, ३१-सिद्धपुर के श्रीमाल गौ० हाइमंत ने , , , , ३२-बड़नगर के श्रेष्टि गौ० पृथुसेन ने , , , , ३३-आकांणी के डिदु गौत्र० नाथा ने " " " "
बीस अट्ट पट्ट ककसरि हुये, श्रेष्टि कुल उारक थे।
वादी गंजन बन केसरी, जैनधर्म प्रचारक थे । जैन मन्दिरों की करी प्रतिष्ठा, दर्शन खूब दिपाया था।
जिनके गुणों को कहे बृहस्पति, फिर भी पार न पाया था । ॥ इति श्री भगवान पार्श्वनाथ के २८ वें पट्ट पर भाचार्य ककसूरिजी महान् आचार्य हुये ॥
लढा ७
सूरीश्वरजी के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएँ ]
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