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________________ आचार्य देवगुप्तसूरि का जीवन ] [ ओसवाल सं० १००१-१०३१ "सुचंति "पल्लीवाल घरण ने वंश रासा ने , लुंग " दूधड़ माना ने चतराने DILDO11101111111111 " प्राग्वट , प्राग्वट १३-- जेतपुरा राहूल ने १४-दान्तिपुर गोमाने १५-मारसोडी " बलाह गोल्हाने १६ --इत्थुड़ी "करणावट १७-चंन्द्रावती ,, श्री श्रीमाल , रावल ने १८-दुर्गपुर ,, प्राग्वट चोलाने १९-जाकोड़ी "प्राग्वट नारद ने २०-शालीपुर ,, श्रीमाल २१-धोलपुरा काना ने २२-चोराप्राम खुमाण ने २३-करणावती ,,श्रीमाल २४-खेट इ.पुर २५-भरोंच ,, लघुश्रेष्टि पुनडा ने २६-स्तमनपुर पाताने २७-सोपार " कुम्मट खेमा ने २८--सेसली रघुवीर ने २९-आघाट सांडा ने ३०-कापसी ,, अग्रवाल केहराने ३१-दशपुर ,, मोरख राजसी ने ३२-नागदा ., प्राग्वट राणा ने ३३-रेणी , प्राग्यट मोकल ने ३४-उज्जैन , श्रीमाली देपाल ने ३५---मान्डव ,, श्रीमाल जैसल ने सूरीश्वरजी ने अपने ३० वर्षों के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्टाए १-- डामरेल के नागवंशी भूपाल ने भा० पार्श्वनाथ का मन्दिर २-नरवर के बप्प० गौत्रीय वीसाने " " ३-हाडोली के भरी गौत्रीय नोढ़ाने ४ - सोजाली के चरड गौत्रीय हाप्पाने श्रादीश्वर ५-बारटी के लुंग गौत्रीय चांपसीने ६-विजापुर के अग्रवाल वंशीय फागुने महावीर ७-नादुजी के भाद्र गौत्रीय मारणनेणा ८-जंगाल के चिंचट गौत्रीय महीधरने सूरीश्ववरजी के शासन में प्रतिष्ठाए १०४३ ,, पल्लीवाल " अग्रवाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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