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आचार्य सिद्धमूरि का जीवन ]
[ओसवाल सं० ९२०-९५८
अधिक सुविधा रहने लगी मैं उपर लिख आया हूँ कि आत्मा निमित बासी हुश्रा करता है जैसे आत्मा को निमित मिलता रहता है वैसे ही उनको मानस उसमें लिप्त हो जाता है । अतः उनके रहने की गुफाएं पशु पक्षियों के काम आने लगी और उन गुफाओं की किसी ने सार संभाल तक भी नहीं की यही कारण है कि कई गुफाएं तो भूत्राश्रित हो गई कई टूट-फूट कर खण्डहर का रूप धारण किया हुआ आज भी दृष्टिगोचर होता हैं।
__वर्तमान पुरात्व की शीघ्र खोज करने वालों का लक्ष इन प्राचीन गुफाओं की ओर भी पहुँचा और उन लोगों ने भारत की चारों ओर शोध-खोज की तो हजारों गुफाओं का पता लगा है उन गुफाओं के अन्दर मन्दिर मूर्तियां तथा चित्रकाल शिल्पकाला तथा बहुत से प्राचीन समय के शिलालेख भी मिले हैं ने इतिहास के लिये बड़े ही अमूल्य साधन माना जा रहा है उदाहरण के तौर पर उडीसा प्रान्त की उदयगिरि खण्डगिरि पहाड़ियों के अन्दर जैन श्रमणों के ध्यान के लिये सहस्त्रों गुफायें बनाई थी जिसके अन्दर से सैकडों गुफाएं आज भी विद्यमान है कई कई गुफायें तो नष्ट भी हो गई हैं पर कई कई अभी अच्छी स्थिति में हैं तथा कई कई गुफायें दो दो मंजिल की भी है और उन गुफायों से बहुत से शिलालेख भी मिले हैं जिसमें दो शिलालेख तो इतिहास के लिये बहुत ही उपयोगी हैं १-महामेघवाहन चक्रवर्ति राजा खारवेन का २--भगवान् पार्श्वनाथ के जीवन विषय का । इनके अलावा भी बहुत से शिलालेख मिले हैं इस विषय में हमने कलिंग देश के इतिहास में विस्तृत वर्णन लिख दिया है अतः यह पोष्टपेषण करना उचित नहीं समझा गया है वहाँ पर वो शेष कतिपय गुफा का ही संक्षिप्त से उल्लेख किया जायगा कारण भारतीय गुफाओं के लिये बड़े बड़े विद्वानों ने कई ग्रन्थ लिख निर्माण करवा दिये हैं तथा कई हिन्दी भाषा भाषियों के लिये मेरा यह संक्षिप्त लेख भी उपकारी होगा ?
१-उडीसा प्रान्त की खण्डगिरि उदयगिरि एक समय कुमार एवं कुमारी पर्वत के नाम से तथा वही पहाड़ियाँ जैन संसार में शत्रुजय गिरनावतार के नाम से मशहूर थी वर्तमान की शोध खोज से कई ७०० छोटी बड़ी गुफाओं का पता लगा है इस विषय इसी अन्य के पिछले पृष्ठों में कलिंग देश के इतिहास में विस्तार से लिख पाये हैं अतः पुनावृति करना उचित नहीं समझा गया है पाठक वहाँ से देखें।
२-बिहार प्रदेश ( पूर्व में ) मैं बरबरा पहाड़ की कंदराओं में नागार्जुन के नाम से प्रसिद्ध है वहाँ भी बहुत सी गुफाए हैं जिस में अधिक गुफाएं जैनों की हैं और वहाँ जैन श्रमण रह कर आत्म कल्याण साधन किया करते थे इन गुफाओं का विस्तृत वर्णन 'जैन सत्य प्रकाश मासिक पत्र के वर्ष ३ अंक ३-४-५ में किया है अतः स्थानाभाव यहाँ मात्र नाम निर्देश ही कर दिया है।
३-पांच पाण्डवों की गुफाएं-यह गुफाएं आवंती (मालवा) प्रदेश में आई हुई है गुफाएं बहुत विस्तार में हैं शिल्प एवं चित्र का बहुत ही सुन्दर काम किया हुआ है इन गुफाओं का वर्णन भी प्रस्तुत जैन सत्य प्रकाश मासिक वर्ष ४ अंक ३ में विस्तार से किया है।
४-गिरनार की गुफाए-गिरनार जैनियों के तीर्थक्करों की निर्वाण भूमियों में एक ई यहां पर अनेक महात्माओं ने ज्ञान ध्यान योग समाधि आसनादि की साधना करके मोक्ष रूपी अक्षय धाम सिघाये थे । एक गुफा में मुनि रहनेमि ध्यान किया था उसी गुफा में सती राजमति वरसाद के कारण विश्राम लेकर अपने चीर सुखा रही थी इत्यादि जैन शास्त्रों में गिरनार पर्वत की बहुत सी गुफाओं का वर्णन आता है।
उडीशा प्रान्त की गुफाए
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