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________________ आचार्य यक्षदेवसूरि का जीवन ] [ ओसवाल संवत् ८२४ -८४० इनके अलावा भी कई महानुभावों ने अपनी चंचल लक्ष्मी को जनकल्याणार्थ व्यय करके जैन शासन की प्रभावना के साथ अपना कल्याण साधन किया । आचार्यश्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं १ - धनपुर में श्रेष्टि गौ० शाह खूमा ने भ० पार्श्व २ -- हर्षपुर में बलाह गौ " कल्हण ने ३ - नागपुर में भाद्र गौ० " करमरण ने ४ - जानपुर में चिंचट गौ - देवपट्टन में चरड गौ० ५ ६ - कुकुरवाडा में भूरि गौ ७ - गटवाल में कनोजिया ८- गुगालिया में कुष्ट गौ० ९ - चन्द्रावती में आदित्य ना० " " फूवा ने " पद्मा ने "" " राणा ने नारा ने रावल ने दाप्पा ने राजा ने माला ने वागा ने 33 99 39 " " 79 " "" "" 72 15 12 गेंदा ने कःपिं ने मांमण ने गोसल ने लाखण ने " " कल्हल ने " अंबड़ ने श्रमदेव ने बाप्पा भैसा १० - टेलीपुर में बाप्पनाग० ११ - मारोटकोट में श्र ेष्ट गौ १२- हापड़ा में लघु श्र ेष्ट गौ० १३ - कोसी में चरडा गौ० १४ - भोजपुर में मल्ल गौ० १५--- रामसरण में लुंग गौत्रीय १६ - आभानगरी में प्राग्वटवन्शी १७ -- करकली में १८ - खेखरवाड़ा में भाद्र गौत्रीय १९ - फेफाती में श्रीमाल वंशी २० - हर्षपुर में सुचंति गौत्रीय २१ - मेदनीपुर में कुलभद्र २२ -- मथुरा में प्राग्वटवंशी "" "" 15 इनके अलावा दूसरे श्रावकों ने बहुत से मन्दिरों की एवं घर देरासर की पतिष्टाए करवा कर कल्याएकारी पुन्योपार्जन किया था। जिन्हों का वंशावलियों में खूब विस्तार से वर्णन है । 19 महावीर आचार्य श्री के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएं ] Jain Education International "" 19 शांति " अदीश्वर नेमिनाथ पार्श्व د " 93 विमल महावीर For Private & Personal Use Only " 23 23 पार्श्वनाथ " 27 महावीर म० श्र० 35 35 "" 39 39 " " " 99 " "" رو पट्ट बतीसवें यक्षदेव गुरु, त्यागी बैरागी पुरे थे । वीर गंभिर उदार महा. फिर तप तपने में शूरे थे । धर्म अन्ध म्लेच्छ मन्दिरों पर दुष्ट आक्रमण करते थे । उनके सामने कटिबद्ध हो, प्रण से रक्षा करते थे | इति भगवान् पार्श्वनाथ के ३२ वें पट्ट पर आचार्य यक्षदेवसूरि बड़े ही प्रभाविक आचार्य हुए। "" ८४७ www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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