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आचार्य रत्नप्रभरि का जीवन ]
[ओसवाल संवत् ६९८-७१०
६-हसावली से सुचंति गौ० शाह धरणानेश्री शत्रुजय का संघ निकाला ७-दुर्गापुर से श्री श्रीमाल , मोकलने ८-नन्दपुर से भूरि गौ० , मौथा ने ९- उपकेशपुर से भाद्र गौ , कजल ने १०-वैराट नगरसे बलहा गौ० , कुर्भा ने ११-चित्रकोट से करणाट गौ० , खेतशीने १२- दशपुर से कुमट
त कुमट
गौ० ।
गो० , खीमड़ ने १३-उज्जैननगरीसे ब्राह्मणवंशी
., पुरुषोतम ने ४ि-मालपुरा से क्षत्रिय वंशी राव , गेहलड़ा ने ६५-डामरेलनगरसे प्राग्वटवंशी , गोवीन्दने १६-तक्षिशाल से प्राग्वटवंशी , गोपाल ने १७-मुग्धपुर से श्रीमाल वंशी , चंचग ने १८-नागपुर से कनोजिया गौ० ,, चतराने १९-भवानीपुर से लघु श्रेष्टि गौ० , शांखलाने २०-उपकेशपुर के राव दाहड़ की पुत्री शृंगार ने एक बड़ा तलाब खुदाया २१-नागपुर में श्रेष्टि नारायण की स्त्री कंकली ने एक तलाव खुदाया २२- भेदनीपुर के राव हनुमत की पुत्री पेपा ने एक कुवा खुदवाया २३-डिडूनगर के बाप्पनाग देदाने दुकालमें एक बड़ा तलाव खुदाया २४-शिवगढ़ के मंत्री मुरार संग्राम में पंचत्व को प्राप्त हुआ उसकी दो स्त्रिये सतियाँ हुई जेट वद
४ के दिन मेला भरीजे २५- माठयपुर के डिडु मेंकरण युद्ध में मरा गया जिसकी स्त्री सोहाग सती हुई माघ शुद्ध ७ का
मेला भरीजे सती की पूजा हुवे २६--सारणी प्राम का राब जुजार युद्ध में काम आया जिसकी स्त्री सती हुई जिसका चांतरा गाव
से पूर्व दिशा में एक कोश दूर वहाँ मेला भरता है ।
प्राचार्य श्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्टाएं १-श्री शत्रुजय पर शाह नन्द ने भगवान् आदीश्वर के मन्दिर की प्रतिष्टा कराई । २-मधुमति में डिडु गौत्रीय शाह भूता ने महावीर मन्दिर प्रतिष्टाए । ३-कपीलपुर में कुमट गौ० , शार्दुल ने , , ४-वर्द्धमानपुर में कनौजिय गौ०, हेमा ने पार्श्व० , ५-रावड़ में आदित्यनाग० , कुराने " " " ६-पुन्दड़ा में बाप्पनाग गौ० , पुराने महावीर , , ७-भुजपुर में चरड गौ० , शुरा ने
, सूरिजी के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएँ]
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