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जम्बुद्वीप का भरत क्षेत्र
जम्बुद्वीप का ऐवत क्षेत्र
भूतकाल
वर्तमान
भविष्य
भूतकाल
वर्तमान
भविष्य
१
ऋषभ
सिद्धार्थ
पद्मनाथ सूर देव
पूर्णघोष
केवलनाणी x २ निर्वाणी
सागर महाजस
सुपारच
अजित संभव अभिनंदन सुमति पद्मप्रभ
विमल
बालचन्ह श्रीशिवय अग्निसेन नर्दिषेण रिषिदत्त व्रतधर सोमचन्द्र दीर्घसेन शतायुष
सुपावं
स्वयंप्रभ सर्वानुभूति देवश्रुति उदय पेढाल पोटिल पातकीर्ति सुव्रत भमम किष्कषाय निष्पुलाक
सर्वानुभुति श्रीधर श्रीदत्त दामोदर
सुतेज स्वामी
शिवसुत श्रेयांस
मुनिसुव्रत
पंचरुप নিনঃ संपुटिक अज्यंतिक अविष्टायक अमिनन्दन रत्नेश रामेश्वर अगुष्टम विनाशक भाशेष सविधान श्रीप्रदत्त श्रीकमार सर्वशैल प्रभजिन सौभाग्य दिनकर व्रताधि सिद्धिकर शारीरिक कल्पद्रुम तीर्थादि फजेश
सुमति
चन्दप्रभ सुविधि शीतल श्रेयांस वासुपुज्य विमलनाथ अनंत धर्मनाथ शान्तिनाथ कुंथुनाथ अरनाथ मल्लिनाथ मुनिसुव्रत नमिनाथ नेमिनाथ पार्श्वनाथ महावीर
निर्मम
यशघोष नर्दिषण सुमंगक ब्रजधर निर्वाण धर्मध्वज सिद्धसेन महासेन वीरमित्र सत्यसेन श्रीचन्द्र महेन्द्र स्वयंजन देवसेन सुवर्त जिनेन्द्र सपार्श्व सुकोशल अनंत विमल भजितसेन अग्निदत्त
सिवगति अस्तागं नमीश्वर अनील यशोधर कृतार्थ जिनेश्वर शुद्धमति शिवकरं
चित्रगुप्त समाधि
स्वयंजल सिंहसेन उपशातं गुप्तसेन महावीय पार्श्व अभिधान मरुदेव श्रीधर स्वामी कोष्ट अग्निप्रभ मग्निदत्त वीरसेन
सवर
यशोधर विजय मल्लजिन देवजिन अनंतवीर्य भद्रकृत्य
वंदन संवति
x प्रस्तुत नामावलि श्रागमसार संग्रह नामक पुस्तक से लिखा गया है ।
१-भी तीर्थकरों को समकित प्राप्त होने के वाद एवं तीर्थकर पद का निर्णय होने के पश्चात् कितने भव किये जैसे भगवान् ऋषभदेव के १३ भव १-धनासार्थवाह २- उत्तरकुरु युगलिक ३-सौधर्मदेव ४
महाबलराजा ५-ईशानदेव ६-वाजघराना ७-उत्तरकुरुयुगलिक ८-सौधर्मदेव ९-जीवानन्द वैद्य -१०- अच्यूजदेव ११-यजनाभचकी १२- सर्वार्थसिद्धदेव १३-ऋषभदेव तीर्थक्कर एवं १३ भव ।
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