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वि० सं० २८२-२९८ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
२ -- विदह देश - यह विदह देश मगद के पास ठीक पाड़ोस में ही आया है इस देश की राजधानी मथिला नगरी में होना शास्त्रों में लिखा है पर हम जिस समय का इतिहास लिख रहे हैं उस समय विदह देश के राजा चेटक की राजधानी वैशाला नगरी में । राजा चेटक का घराना जैन धर्म को पालन करता था इसके गुरु पार्श्वनाथ के सन्तानिया थे जब भगवान् महावीर का शासन प्रवृत्तमान हुआ तो आप भ० महावीर के भक्त राजाओं में आग्रहेश्वर थे आप गण शतक राजाओं के नायक थे कासी कौशल के अठारह गण राजा आपकी आज्ञा शिर धार्य करते थे यही कारण है कि राजा चेटक और मगदेश्वर कूणिक के आपस में युद्ध हुआ तो काशी कौशल के अट्ठारह गण राजा आपकी मदद में आये थे भ० महावीर के अन्तिम समय राजा चेटक अपने अठारह गए शतक राजाओं के साथ भ० महावीर की सेवा में रह कर पौषध व्रत किया था राजा चेटक के परिवार में एक शोभनराय पुत्र और सात पुत्रियां थीं एक समय किसी प्रसंग पर भ० महावीर ने श्री मुख से फरमाया था कि राजा चेटक के सातों पुत्रियाँ सतियाँ हैं और इसी प्रकार उन्होंने अपने सतीत्व का परिचय भी दिया था पाठक पिछले प्रकरण में पढ़ आये हैं कि उन सतियों ने अपना सतीस व्रत की रक्षा के लिये नाशवान प्राणों की आहूति देदी थी उन सातों सतियों का अधिकार जैन शास्त्रों में बहुत विस्तार से किया है पर मैं तो यह केवल नामोल्लेख कर देता हूँ ।
प्रद्योतन को
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१ - प्रभावती – जिसकों - सिन्धुदेश - वितभय पाटण के राजा उदाइ को परलाई २ - शिवादेवी - श्रावन्तिकी - उज्जैन नगरी का राजा चण्ड ३ - न्येष्ठादेवी -- क्षत्री कुण्ड नगर के राजा नन्दीवर्धन को ४ - मृगावती - बत्स देश - कौसम्वी का राजा सन्तानिक को ५ - पद्मावती - अङ्ग देश चम्पा नगरी के राजा दधिवान को ६ - चेलना -- मगद देश - राजगृह नगर के सम्राट् श्र ेणिक को ७ -- सुज्येष्ठा - आजीवन कुवारी रहकर भ० महावीर के पास दीक्षा ले ली । जब राजा कूणिक ने वैशाला कों जीत कर उसके राज को मगद एवं अंग देश में मिला लिया तब चेटक का पुत्र शोभनराय भाग कर कलिंग देश जो अपना शशुराल था चला गया वहाँ के राजा के पुत्र न होने से कलिंग का राज शोभनराय को देदिया जिसकों हम कलिंग के राजाओं में खि आये हैं बस | विदेह देश के राज यहाँ से खत्म हो कर मगद सम्राज्य में मिल गया और शोभनराय की वंश परम्परा कलिंग पतियों के नाम श्रोलखाने लगी है !
३ - आवन्ती देश -- आवन्ती देश दो भागों में विभाजित था एक पूर्व श्रावन्ती दूसरी पश्चिम वन्ती । पूर्व आवन्ती की राजधानी विदिशा नगरी थी जो उज्जैन नगरी से करीब ८० मील पूर्व में थी तब पश्चिम आवन्ती की राजधानी उज्जैन नगरी में थी। इस आवन्ती प्रदेश के साथ जैन धर्म का घनीष्ट सम्बन्ध रहा है इस प्रदेश के शासन कर्ता सब के सब राजा जैन धर्म के उपासक थे । भगनान् महावीर के शासन समय उज्जैन नगरी में राजा चण्ड प्रद्योतन राज्य करता था उसका विवाह विशाला नगरी के राजा चेटक की पुत्री शिवादेवी के साथ हुआ था इनके अलावा मगधपति वत्सपति के साथ भी चण्ड प्रद्योतन का सम्बन्ध रहा है और सिन्धु सौवीर की राजधानी वितमय पट्टन का राजा उदाइ के साथ भीं इसका सम्बन्ध रहा है उसकों मैं राजा उदाइ के अधिकार में लिखूँगा ।
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विदेह देश का राजा चेटक
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