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________________ वि० सं० २६०-२८२ वर्ष ] [भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ११-उपकेशपुर से अदित्यनाग गौ० शाह सोमनाग ने श्री शत्रुजय को संघ निकाला१२-चित्रकोट से सुचिंती गोत्रीय मंत्री हरदेव ने श्री उपकेशपुर का संघ निकाला१३-चंदेरी से चरड़ गौत्रीय शाहसुखा ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला१४-माण्डबगढ़ से कुलभद्र गौत्रीय शाह नाथा ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला१५- पद्मावती से मोरक्ष गौत्रीय शाह गुणपाल ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला१६-शिवपुरी से प्राग्वट शाह भैराने श्री शत्रुजय का संघ निकाला १७-मथुरा से अष्टि गौत्रीय शाह शाखला ने श्री सम्मेत शिरखरजी का संघ निकालाजिसमें संधपति शाखला ने एक करोड़ द्रव्य व्यय किया साधर्मी भाइयों को साना की केडियों और बहनों को सोना के चूड़ा की पहरामणि देकर अपनी उज्वल कीर्ति को दुनियों के इतिहास में अमर बना गये थे। इत्यादि अनेक महानुभावों ने अपनी चल लक्ष्मी को ऐसे पुनीत कार्यों में अचल बना कर स्वात्मा के साथ परात्मा का कल्याण किया इन संघ निकलने में आचार्य श्री तथा श्रापके मुनिवरो का ही उपदेश था । आचार्यश्री के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएं १-मुगेरानगर के बाप्पनाग गौ० मोखम ने भ० महावीर के म० प्र० २-धोलागढ़ के कन्याकुब्ज तारा ने , , के , ,, ३-गुडानगर के मल्ल गौ० देहल ने , के , ४- रत्नपुरा के सुचंती गौ० रूपणसीने , पार्श्व के , , ५-क्षत्रीपुरा के श्रादित्यनाग० कल्हण ने , ६-हंसावली के घरड गौ० पुना ने , शान्ति ७-बिराटपुर के सुघढ़ गौ० नैणा ने , महावीर ८-नारायणपुर के श्रोष्ठि गौ. जैतसी ने ९-टेलीपुर के श्रोष्टि गौ० गोकल ने ,, , १०-हर्षपुर के कुलभद्र गौ० भाणा ने , ११-नन्दपुर के बलाह गौ० जैता ने , आदि १२-भवानीपुर के भूरि गौ. भोला ने , १३-शाकम्भरी के चिंचट गौ० रामदेव ने ,, महावीर १४-रूणावती के लघुष्टि गौ० हाँसा ने , १५--कुर्षपुरा के करणाट गौ० मूजा ने , १६-धनपुर के कुमट गौ० गवल ने ,, पाव १७-जोसोरपुर के आदित्यनागगौ० पेथा ने , १८-बड़नगर के बीरहट गौ० हरपाल ने , महावीर १९-खड़गपुर के भाद्रगौ० देवा ने , " २०-मुग्धपुर के श्रीमाल गौ. रामा ने , , के , ६८२ [ सूरिजी के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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