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आचार्य सिद्धमूरि का जीवन ]
[ ओसवाल संवत् ५७७-५९९
११-मथुरा से वाचनाचार्य गुणतिलक के उपदेश से चिंचट गौत्रीय शाह गुणपाल ने श्री सम्मेत शिखरजी का संघ निकाला जिसमें सात लक्ष द्रव्य व्यय किया।
इनके अलावा भी अन्य प्रान्तों से कई कई छोटे बड़े संघ निकले थे उस समय धर्म कार्य में मुख्य संघ निकाल कर तीर्थ यात्रा करना और साधर्मी भाइयों को अपने घर आगणे बुला कर अधिक से अधिक द्रव्य पेहरामणी में देना बड़ा ही महत्व का कार्य समझा जाता था अतः जिसके पास द्रव्य होता वह या तो मन्दिर बना कर प्रतिष्टा करवाने में या तीर्थो के संघ निकालने में या आचार्य के पट्ट महोत्सव करने में ही लगते थे और इसमें अपने जन्म की सार्थकता भी समझते थे।
सूरिजी महाराज या आपके मुनियों के हाथों से प्रतिष्ठाऐं १- नागपुर के अदित्य नागः वीरदेव ने भ० महवीर के मन्दिर की प्रतिष्ठा २-खावड़ा के अदित्य नाग० सलखण ने" पाचनाथ " ३-मुग्धपुर के बाप्पनाग गौ० अजड़ ने ” शान्तिनाथ ४-खट कूप के श्रेष्टि गोत्रीय __माला ने " महावीर ५-नाराणापुराके भूरिगौत्रीय चोपा ने " आदीश्वर ६-रूपनार के भाद्रगोत्रीय
मंत्रीरणवीर" " ७-खंडेला के सोनी गौ० सुखा ने " महवीर ८-सापाणी के सुघड़ गौ० ९--विराटपुर के चरड़ गो.
देवा ने , १०-मथुरा के सुंचति गौ० धरण ने " पार्श्वनाथ ११-भीलाणी के श्री श्रीमाल १२-नखर के श्रेष्टि गौ० आखा ने " महावीर १३ -- तक्षिला के श्रीमाल १४-सालीपुर के चिंचट गो. चतरा ने " " १५-वीरपुर के कुलभद्र० १६-वजवार के बलाहा.
जेता ने "
विमलनाथ १७-मारोट के मोरक्षगौर
वागा ने "
नेमिनाथ १८-कटपुर के ब्राह्मण हेरदेव ने " महावीर १९-वर्दमान के प्राग्वट . २०-कपीलपुर के प्राग्वट०
गोंदा ने " " २१- शत्रुजयपर श्रेष्टि गौ
पार्श्वनाथ २२-सोपार० के कुमट गौ।
२० के कुमट गो. पोमा ने " २३-चन्द्रावती के बाप्प नाग० राणा ने " शान्तिनाथ २४-टेलीपुर के आदित्य नागः श्रादू ने "
मूला ने "
देवा ने
"
खीवसी ने ,
जगमाल ने "
करमण ने
"
चूड़ा ने
"
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Jain Eunom