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________________ आचार्य रत्नप्रभसूरि का जीवन ] [ ओसवाल संवत् ५१५ १३- चंदेरी बापनाग गोत्रिय शाह रांगा अपने पुत्र के साथ सूरिजी के पास दीक्षा ली । १४ - विलासपुर के सुचंति गोत्रिय शाह नागा ने १५ - जालौन० आदित्यनाग गोत्रिय शाह देवा ने सू‍ १६ - रत्नपुरः श्रोष्टिगोत्रिय शादूल ने १७- खोखर - प्राग्वट वंशीय देपाल ने १८ - नलिया - श्रीमाल रेखाने १९ - करणावती - श्रीमाल साहब सेवा ने २० - सीपार - श्रेष्टिगोत्रिय चाड मन्त्री ने २१ - सालीपुर - प्राग्वट० पेथा ने अपनी स्त्री और दो लड़कियों के साथ २२ - लोहरा - - ब्राह्मण सदाशिव ने २३ - धामाणी -- डिडूगौत्रिय नागादि ९ मनुष्यों ने २४ - रामपुर - भूरगोत्रिय हरदेव ने २५ - चोलीग्राम- बलाहगोत्रिय नागदेव ने २६ -- जासोलिया - कुलभन्द्र गौत्रिय हेमा नेमा ने २७ - वैणीपुर -- विरहट गोत्रिय काना ने 19 "" सूरिजी के शासन में धर्म कार्य } "" Jain Education International 59 For Private & Personal Use Only "" 99 "" 39 "" 13 "2 "" ," दी० 33 93 "" "" "" "" ," "" "" "" यह तो केवल उपकेश वंश वालों के ही नाम लिखा है इनके अलावा महाराष्ट्रीय सिन्ध पंजाब are देशों के सैकड़ों नर-नारियों की सूरिजी एवं आपके शिष्यों के कर कमलों से दीक्षा हुई थी पर वंशावलियों में उनके नाम दर्ज नहीं हैं खैर इस प्रकार दीक्षा लेने से ही इस गच्छ में हजारों की संख्या में मुनि भूमण्डल पर विहार कर जनकल्याण के साथ शासन की प्रभावना करते थे । आचार्य श्री के शासन समय तीर्थों के संघ 39 "" १ - चन्द्रावती के प्राग्वटवंशीय वीरम ने तीर्थराज श्री शत्रुंजयादि का संघ निकाला जिसमें सात लक्ष द्रव्य व्यय किया सोना मोहरों की लेन एवं पेहरामणि दी । २ -- मेदनीपुर के सुघड़ गोत्रिय शाह लुगा ने श्री शत्रुंजय का संघ निकाला जिसमें सवा लक्ष द्रव्य व्यय किया संघ को पहरामणी दी और सात यज्ञ ( जीमणवार ) किये | ३ - उपकेशपुर के श्रेष्टि गोत्रिय मन्त्री दहेल ने श्री सम्मेत शिखरादि पूर्व के तीर्थों का संघ निकाला जिसमे' नौ लक्ष द्रव्य व्यय किया । साधर्मी भाइयों को पांच सेर का लड्डू के अन्दर पांच पांच सोना मोहरों की पहरामणी दी और सात यज्ञ (स्त्राधार्मिक वात्सल्य ) किये । 39 ४ -- डाबरेल नगर के मन्त्री हनुमत्त ने श्री शत्रुंजय का संघ निकाला तीन लक्ष द्रव्य व्यय किया ५- पद्मावती के मन्त्री राणा ने शत्रुरंजय का संघ निकाल पुष्कल द्रव्य व्यय किया । ६ - आलोट के प्राग्वट नोढा नोधण ने शत्रुरंजय का संघ निकाल पांच लक्ष द्रव्य व्यय किया । ७ - स्थम्मनपुर के प्राग्वट हरपाल ने शत्रु जय का संघ निकाला जिसमें एक लक्ष द्रव्य व्यय किया । ८ - मथुरा के आदित्यनाग गोत्रीय कल्हण ने सम्मेत शिखर का संघ निकाला । ४८१ www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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