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________________ वि० पू० १८२ वर्ष] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास विभाजित है अर्थात् खण्डगिरि, उदयगिरि और नीलगिरि : संस्कृत में इसकोखण्डाचल भी कहते हैं खण्डगिरि १२३ फुट ऊंचा तथा उदयगिरि ११० फुट ऊंचा है । मुख्य गुफायें उदयगिरि में ४४, खण्डगिरि में १९ तथा नीलगिरि में ३ हैं। इनके अलावा छोटी छोटी गुफाए तो सैकड़ों हैं । २--उदयगिरि--की जितनी गुफायें हैं। उनमें से सब से बड़ी और सब से उत्तम चित्रकारी से चत्रित "रानी हन्सपुरी गुफा" है। इस गुफा में बहुत से दृश्य अङ्कित है वह दृश्य, यद्यपि बिगड़ गये हैं तथापि साफ साफ एक साधु की यात्रा को दिखलाते हैं जो धार्मिक उत्सव में नगर के भीतर चल रहे हैं लोग अपने घरों से उनका दर्शन ले रहे हैं। घोड़े जा रहे हैं, हाथी चल रहे हैं, प्यादे जा रहे हैं तथा स्त्री पुरुष हाथ जोड़े हुए साधु के पीछे जारहे हैं। कहीं २ खड़े हुए लोग मुक जाते हैं और फलादि चढ़ाते हैं तथा आशीर्वाद ले रहे हैं। इस पर्वत में श्रीपार्श्वनाथस्वामी बहुत अधिक प्रतिष्ठित हैं और इसी लिये यह अनुमान किया जाता है कि यह उत्सव या तो भगवान पार्श्वनाथस्वामी का हो या उनके किसी एक शिष्य का हो । और दूसरे भी कई दृश्य हैं जो शायद श्री पार्श्वनाथ के जीवन से मिलते मालूम देते हैं। दूसरी गुफाओं के नाम ये हैं- जयविजयगुफा, छोटीहाथीगुफा, अलकापुरीगुफा मञ्चपुरीगुफा, पनसगुफा, पातालपुरीगुफा । ३-मञ्चपुरी गुफा के-५ दरवाजे हैं-चौथे द्वार पर एक लाइन का शिलालेख है जो इस भांति है --- "खरस महाराजस कलिङ्गाधिपतिनो महामेघवाहन सकूड़े पसीरिनोघलेनम्" भावार्थ:-चतुर महाराज कलिंग देश के स्वामी महामेघवाहन या कूड़े पसीरी की गुफा । ४-इस गुफा के सातवें कमरे में दूसरा लेख है जो इस भांति है : "कुभार वदुरवस लेनम्" ( यह लेख पहले से प्राचीन है ) अर्थात् कुमार वदुरष की गुफाशायद यह कुमार राजा खारवेल के पुत्र हों । गेजेटियर वाले ने पहले शिलालेख में वाक द्वीप भी पढ़ा है तथा बड़ी गुफा के लेख में यह नाम आया है जो कि राजा खारवेल का एक पद था । ५-इस पञ्चपुरी गफा में ऊपर के खाने में तीसरा लेख है सो इस तरह का है १--अरहन्त पसादायम् कलिङ्गानम् समनानम्लेनं कारितम् राज्ञोलालकस । २--हथी साहस पपोतस् धुतुनाकलिंग चक्रवर्तितो श्री खारबेलस । ३--अग महिसिना कारितम् ( यह लेख हाथी गुफा के लेख से कुछ ही पीछे का है ) भावार्थ-यह है कि श्रीअरहन्त के प्रासाद या मन्दिर रूप गुफा कलिंग देश के श्रमणों के लिये बनाई गई है-यह गुफा कलिंग चक्रवर्ती राजा खारबेल की मुख्य पटरानी द्वारा कराई गई जो गजा लालकस की पुत्री थी। यह लालकस, राजा हथीसहस के पौत्र थे । इस खन को स्वर्गपुरी गुफा भी कहते हैं । ६--गणेशगुफा–यहां भी कुछ दृश्य हैं शायद ये श्री पार्श्वनाथ के चरित्र से सम्बन्ध रखते हो । ७--धानघर और हाथीगुफा-हाथी गुफा ५० फुट से २८ फुट है मुख ११। फुट उंचा है-भीतों पर - कुछ शब्द अंकित हैं । प्रगट रूप से साधुओं या यतियों के नाम हैं। छत की चट्टान पर १७ लाइन का लेख Jain International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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