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________________ ६ و पीपाड़ कापरड़ा पाली वीसलपुर ८ ९ १० लुनावा ११ सायरा १ १९७३ | फलोदी २ १९७९ लोहावट ३ | १९८० | नागोर ४ १९८१ कुरा ५ १९८१ खजवाना ६ १९८१ रू श्री ज्ञानोदय जैन लायब्रेरी श्री पार्श्वनाथ जैनज्ञानभंडार श्री जैन श्वे० लायब्रेरी श्री जैनलायब्रेरी श्री जैन ज्ञानलायब्रेरी श्री जन वे० ज्ञानलायब्रेरी सेवा मंडल २ १९८२ | खारिया ७ ८ | १९८३ ९ | १९८३ बलाड़ा पीपाड़ १० १९८३ | कापरड़े ११ १९८४ पीपाड़ १२ १९८५ | लुनावा १३ १९८४ पीपाड़ १४ | १९०२ | फलोदी मं० १९७२ | ओसिया ! १९८२ | फलोदी १९८९ | नागोर जैन मित्र मण्डल जैन नवयुवक मंडल वीर मंडल महावीर मित्रमण्डल जैन मित्र मण्डल Jain Education International जैन मन्दिरों की प्रतिष्ठा एवं मदद २१ 1 ३ ज्ञानप्रकाश मण्डल जैन श्वे० मित्रमण्डल ज्ञान प्रकाश मित्र मण्डल जैन मित्र मण्डल जैन सेवा मण्डल 'जैन बालमित्र मण्डल जैन बाल मण्डल जैन श्वे० संघ सभा मारवाड़ तीर्थ प्रबंधकारणी जीर्णोद्धार में मदद लिये उपदेश तीर्थ का सुधार के लिये चतुर्मास किया मन्दिरों पर शिखर के लिये उपदेश ४ ५ ६ ७ ८ १९८८ | जोधपुर | मन्दिरों पर ध्वज दंड १९८८ | जोधपुर व प्रतिष्ठाएं भैरूबाग की देव भूमि मन्दिर के लिये श्रन्दोलन जीर्णोद्धार के लिए पदेश गोड़ीपार्श्व शान्तिनाथ प्रतिष्ठा का उप० पार्श्वमाथ के मन्दिर का जीर्णो० प्रति० का उ. जीर्णोद्वार मन्दिर की प्रतिष्ठा का उप १९८३ |कापरडा १९८८ | जोधपुर १९८७ | बाला १९८८ | चोपड़ा १९८८ पालासणी मन्दिर का सुधारध्वजा दंड १० | १९८८ वीसलपुर मन्दिर की आशातना मिटाने का उप० ११ १९८७ षीससपुर गोडवाड़ के मन्दिर के लिये उप० मन्दिर की प्रति १२ १९८४ बगड़ी १३ १९९० फलोदी वासन दिया धर्मशाला के नये होल का उपदेश १४ १९९४ सोजत १५ | १९८८ पीपाड १६ १९९७ १७ | १९९९ | चंडावल पाश्रय में प्रभु मूर्ति की प्रतिष्टा शान्तिनाथ के मन्दिर की पुनः प्रतिष्ठा रिषभवाढी में पादुकाएं ब्यावर प्राम मन्दिर की प्रतिष्ठा | शान्तिनाथ की मूर्ति वास० १८ | १९९९ |ब्यावर तीर्थयात्रा इसके अलावा आपका बहुत समय तीर्थयात्रा में भी व्यतीत हुआ था १ सं० १९७३ में श्री जैसलमेर लोद्रावजी की यात्राकी वहां का प्राचीन ज्ञानभंडार का अवलोकन किया २ सं० १९७४ गोडवाड़ के पांचों तीर्थों की यात्रा की । ३ सं० १९७४ श्री केसरियानाथजी की यात्रा भी उत्साह से की। ४ सं० १९७४ श्री ईडर के किल्ला के जिनालय की यात्रा की । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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