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आचार्य कक्कसरि का जीवन ]
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ओसवाल संवत् ११२
३-तीसरे स्वप्न में छिद्र वाला चन्द्र को देखा ? फल--एक ही धर्म में अनेक मत पंथ फरिके समुदाये हो जायंगे और कुमति कदाग्रह के वशीभूत होकर उत्सूत्र प्ररूपना करके भद्रिक जीवों के संगठन को छिन्न-भिन्न करके उनको अनेक विभागों में विभाजित कर देंगे ।
४-चौथे स्वप्न में भूतों को नाचते देखा ? फल-कुमति लोग मोह कर्म के वशीभूत होकर उच्छंखलतापूर्वक आप स्वयं नाना प्रकार के वेश-विटम्बक होकर नत्यकों की भांति नाचेंगे और अपने आश्रितों को न चावेंगे।
५-पाचवें स्वप्न में १२ फण वाला भुजंग देखा ? फल-भविष्य निकट में १२ वर्षीय दुष्काल पड़ेगा कालिकसूत्र आदि अव्यवस्थित होगा, मुनियों का आचार शिथिल हो जायगा। शुद्ध क्रिया पात्र बहुत कम रहेंगे।
६-छटे स्वप्न में देव विमान को गिरता हुआ देखा? फल-जंगाचारण, विद्याचारण आदि लब्धियां निस्तेज हो जायंगी । कितनेक वेश विटम्बक पेटार्थी ऐसे भी होंगे कि उन लब्धियों के नाम से या मंत्र, तंत्र आदि से जनता को लूट कर अपनी आजीविका चलावेंगे ।
७-सातवें स्वप्न में कचरे वाली भूमि में कमल उगा देखा? फल-उच्चवर्ण वाले धर्म का आदर कम करेंगे, प्राय: वैश्य वर्ण में ही धर्म रह जायगा, जिसमें भी सूत्र सिद्धान्त एवं तात्विक विषय पर अरुचि और हास्य, शृगार वीर रस आदिक कौतुकी कथाओं पर रुचि होगी।
८-आठवें स्वप्न में आगिया (जुगनू) का प्रकाश देखा ? फल-जैनधर्म का प्रकाश सूर्य के सदृश्य था, वह अब अगिया के प्रकाश तुल्य रहेगा । जैन धर्म की पूजा सत्कार बहुत कम रहेगा और मिथ्यात्वियों का जोर बढ़ेगा और वे ही पाखंड के जरिये पूजा-सत्कार पायेंगे ।
९-नवें स्वप्न में समुद्र को तीन दिशाओं में सूखा हुआ तथा दक्षिण दिशा में थोड़ा सा जल वह भी गदला हुआ देखा । फन-जिन कल्याणक आदि क्षेत्रों में धर्म की हानि होगी तथा दक्षिण दिशा में थोड़ा बहुत धर्म रहेगा, परन्तु उनमें भी मत, पंथ, क्लेश, कदाग्रह बहुत होगा ।
१०-दसवें स्वप्ने में स्वर्ण के पात्र में क्षीर खाते हुए श्वान को देखा ? फल-उत्तम घरों की लक्ष्मी नीच घरों में जावेगी और उसका वे लोग प्राय दुरुपयोग ही करेंगे । उच्च खानदान के सरल और साहुकार तकलीफें उठावेगा और अधर्मी चोर लुंचा बेइमान प्रायः आराम में रहेगा:
११-ग्यारहवें स्वप्ने में बन्दर को हाथी पर चढ़ा हुआ देखा ? फल-दुर्जन लोग सुखी रहेंगे और सज्जन लोग दुखी होंगे । उत्तम कुल वंश के राजाओं का राज अधर्मी लोगों के हाथों में जायगा और वे लोगों को आराम के बदले बहुत कष्ट पहुँचावेंगे, नाना प्रकार के दंड-कर लेकर प्रजा को दुखी करेंगे।
१२-बारहवें स्वप्ने में समुद्र को मर्यादा उलंघन करते हुये देखा ? फल-अच्छे कुलीन लोग अपनी मर्यादा को छोड़ देंगे । पुत्र माता पिता एवं देव गुरु की भक्ति न कर उनका अपमान करेगा, स्त्रियां अपनी मर्यादा को छोड़ कर स्वच्छन्दतापूर्वक आचरण करेंगी। शिष्य गुरु का विनय करना छोड़ देगा । समाज निर्मायक हो जायगा । एक गच्छ में बहुत आचार्य होंगे, अहमीन्द्र बन कर दूसरों की निन्दा करेंगे इत्यादि ।
१३-तेरहवें स्वप्ने में एक बड़े रथ में छोटे बछड़े को जुड़ा देखा ? फल-वृद्ध लोग समाज एवं धर्म रूपी रथ को चलाने में असमर्थ होंगे, परन्तु नवयुवक एवं बच्चा धर्म कार्य में अग्र भाग लेंगे जब वे धर्म एवं समाज सुधार के कार्य करेंगे और वृद्ध लोग उसमें अनेक प्रकार के विघ्न करेंगे इत्यादि ।
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