________________
भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
DCMALI
आचार्य यक्षदेवसूरि सिन्धधरा में प्रवेश करते हैं राजकुँवरादि शिकार को जाते हुए
घुड़ सवारों को खड़े रख अहिंसा परमोधर्म का उपदेश कर रहे हैं ।
आचार्य यक्षदेवसूरी ने कोरंटपुर या राजगृह के यक्ष को प्रतिबोध कर संघ का ducation intemationalस
संकट मिटा कर शान्ति स्थापन की अतः अपने नाम को सार्थ किया है। www.jainelibrary.org