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भगवान् पाश्वनाथ को परम्परा का इतिहास
SOCMAR
मंत्र यंत्र वादियों ने कह दिया कि अब यह मरगया है इसका अग्निसंस्कार करवादो अतः विमान में बैठाकर स्मशान में लेजा रहे थे उसकी पत्नी सती होने के लिये अश्वारूढ हो आगे चल रही थी। सामने
एक लघु साधु आकर कहता है कि इस जीते हुये को क्यों जलाते हो ? पृष्ठ ७२
लोगों के कहने से विमान सूरिजी के पास लाया और राजा एवं मंत्री ने प्रार्थना की कि हे पूज्य ! आज
हमारा राज शून्य हो गया अतः आप हसको पुन्न रूपी भिक्षा दिरावें । पृष्ठ ७३ wwwjainelibrary.org