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- समर्पण -
पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय म्यायोम्भोनिधि पंजाब केसरी, बीसवी शताब्दी के युगप्रवृक जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्री श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी ( श्रात्मारामजी ) महाराज की आदर्श सेवा में—
पूज्यगुरुदेव ! आप श्री जी ने अपने श्रमृतमय उपदेश से एवं प्रोड प्रज्ञा द्वारा लिखे हुए ग्रन्थों से अनेक भ्रमित आत्माओं का उद्धार कर सद् पथ के पथिक बनाये जिसमें मैं भी एक हूँ । अतः मेरे पर श्रापका असीम उपकार हुआ है उस उपकार से उऋण होने के लिये यह मेरी तुच्छ कृति श्रापकी श्रादर्श सेवा में श्रद्धा भक्ति एवं सादर समर्पण करता हूँ श्राप श्रीजी स्वर्ग में विराजमान हुए भी स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करावें ।
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- ज्ञानसुन्दर
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