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मनुष्य-जन्म पर टान्त
आर्य शान्ति सैनिक से उच्चनागोरी-शाखा | कालका चार्य का स्वर्ग बास मां-बेटा का सुन्दर सम्वाद जनमानसाला | कालका-चार्य और राजादत्त १९५ माता पितादि १५ की दीक्षा
[१२] आर्य सिंहगिरि ४१९ / 5-आचार्य पादलिप्त सूरि ४२९ चिंचट गौ. शाहनाथ के तीर्थपर सूरिपद
चार शिष्यों की ४ शाखाएं फूल-सेठ-प्रतिमा सेठाणि दक्षिण-प्रान्त में विहार ...
देवी की भाराधना मैन धर्म का प्रचार-दीक्षाएं 4-कालकाचार्य
नागहस्ति का चरणोदक भावंती मेदपाट-मरुधर चार काल-का-चाय के समय की घटनाएं
पुत्र जन्म नाम नागेन्द्र श्रीमाल में यज्ञ आयोजन कौनसी घटनाएं किसके साथ ?
नवजात पुत्र सूरि के भेंट सरिजी का पधारना ४.१ महाविदह में तीर्थकर द्वारा
नागेन्द्र की शिक्षा दीक्षा लाखों जीवों अभयदान काल-का-चार्य की प्रशंशा "
भिक्षा देने वाली का वर्णन चतुर्मासवाद-संघ इन्द्र का हाह्मण के रूप में
दशवें वर्ष में सूपिद भजनों को जैन बनाये पञ्चमारा में ३०० वर्ष की आयु अनु०
पादलेप और भाकाश गमन चन्द्रावती में प्र. दी. धारावास का राजा
मथुरा से पाटलीपुत्र १५-आचार्य सिद्धसरि ४०४ गुणाकर सूरि का आना।
मुरंड राजा को जैन बनाना (वि. पू. १२-५२ वर्ष) कालक-सरस्वती की दीक्षा
विनयवान की परीक्षा कासक को आचार्य पदवी उपकेशपुर राजा पुण्यपाल
भोंकार नगर का राजा भीम चिंचट गौ. रूपणसी उजैन में कालकाचार्य
मानखेट का राजा कृष्ण सरस्वतीसाध्वी पर बलात् । भोपालादि ३७ दीक्षाएं
6-रुद्रदेव मूरि और धीवर ४३१ भाष्य चूर्णिया के प्रमाण चन्द्रावती में सूरिपद भगनी भोगी गर्दभील
7-श्रमण सिंह और विसालपुर का रास बल्लभी का राजा शिलादित्य
का• शकों के देश में जाना | 8-आयें खपट सूरि विहार क्षत्र की विशालता एक शक राजा से मित्रता
विद्याभूषित मुनि भुवन शोभन की दीक्षा
९६ माण्डलिकों को भारत में कठोर अभिग्रह
गुरु शस्त्र नगर में वौद्धों का पराजय ४३१ सौराष्ट्र में विश्राम
बौदाचार्य का मर कर यक्ष होना सप का अनुभव और दीक्षा
सुवर्ण सिद्धि उप. राजा रत्नसिंह
संघ को उपद्रव उज्जैन पर शकों का आक्रमण संघ सभा--पद्वियाँ
खपटसूरीका चमत्कार गर्दभी विद्या का आना कोरंटाचार्य सर्वदेवसूरि
राजा को जैनी बनाना बाणावलियों के बाण सूरिजी का स्वर्गवास
मुनि भुवन की भूल गर्दभिभिल्ल की मृत्यु भापके शासन में दीक्षाएं
9-महेन्द्रोपाध्याय ४३३ साध्वी पुनः संघ में " , यात्रार्थ संघ उत्सर्गोपवाद मार्ग
पाटलीपुत्र में राजा द्वारा " , प्रतिष्ठाएं
ब्राह्मणों का अन्याय उज्जैन में शकों का राज्य 1-आचार्य उमास्वामि ४१७ बाल-मित्र भानुमित्र
कामा को मंत्र कर देना
उपाध्याय का जाना 2-श्यामाचार्य के प्रज्ञ कालका-चार्य का भरोंच में चतु-1. मांस और पुरोहित का प्रपञ्च ।
ब्राह्मणों का अचेत होना पना सूत्र के ३६ पद प्रतिष्ठितपुर में पञ्चमी की चतुर्थी
दीक्षा की शर्त पर सचेत 3-विमल मूरिका पद्मचरित्र कालकाचार्य का समाज पर प्रभाव
पादलिप्त नागार्जुन [१०] आर्य इन्द्र दिन ४१६ |
अविनीत शिष्य
४२७ 10-नागार्जुन की स्वर्ण विद्या [११] आये दिन्न सागरसूरि व भष्टपुष्पी
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