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[ २७ 1 अपर | चित्र संख्या चित्र नाम
परिचय पृष्ट १६ मुनि गुणसुंदरजी महाराज व्याख्यान में १७ दोनों मुनि महाराज श्रीकेसरियानाथ की यात्रार्थ १८ श्रीमान् मुत्ताजी कानमलजी पीपलिया वाले १६ श्रीमान् गणेसमलजी मुता , , २० , माणकचंदजी मुता २१ श्रीमान् लालचंदजी मुता २२ मुनीजी लीछमीलालजी मिसरीलालजी फजोदी २३ मुत्ताजी वदनमलजी जोरावरमलजी फलोदी २४ मुत्ताजी गणेसमलजी वसतीमलजी मिसरीमलजी जोधपुर २५ भंडारीजी चंदनचंदजी सा० जोधपुर २६ सेठिया मुलतानमलजी तीर्थ श्रीकापरडाजी के मुनिम २७ जाघड़ा सकनचंदजी कापरडाजी तीर्थ
आचार्य हरिदत्तसूरि और लोहित्या चार्य का शास्त्रार्थ २६ विदेशी आचार्य-उज्जैन नगरी में राजारांणी केशी कुवर की दीक्षा ३० मुनि पेहिताचार्य कपिलवस्तु नगरी में-बुद्ध को वैराग्य का कारण ३१ केशीश्रमणाचार्य चित प्रधान-सावक्षी नगरी में ३२ महात्मा बुद्ध ७४ ७३ महात्मा इस ३४ भगवान महावीर और कामातुर स्त्रियों का उपसर्ग ३५ भगवान महावीर और चण्ड कौशिक सर्प का उपसर्ग ३६ भगवान महावीर के पैरों पर गोपालों ने खीर पकाई
भगवान् महावीर के कानों में गोपालों ने खीले ठोकदी ३८ श्रीमाल नगर में दो मुनि भिक्षार्थ एक ब्राह्मण के घर पर जाते हैं ३६ आचार्य स्वयं प्रभसूरि श्रीमाल नगर की गज सभा में ४० प्राचार्य स्वयं प्रभसूरि-पद्मावती नगरी की राज सभा में ४१ आचार्य स्वयं प्रभसूरि जंगल में जिनके ऊपर विमाण रुक गया ४२ आचार्य रत्नप्रभसूरि ५०० साधु से उपकेशपुर लुगाद्री पहाड़ी पर ४३ दो गुनि भिक्षार्थ उपकेशपुर में जाते हैं मांस मंदिर की प्रचरता ४४ मुनियों का विहार चांमुडा देवी की प्रार्थना पर ३५ साधु० ठहरे ४५ राज कन्या।मंत्री के पुत्र को व्याही दम्पति शय्य में, मंत्री पुत्र को सर्प काटना ७१ ४६ मंत्री पुत्र को मृत समझ स्मशान-राज कन्या सती होने को अश्वारूढ़ ४७ देवी के कहने से मृतकुँवर को सूरिजी के चरण कमलों में ४८ आचार्य रत्नप्रभसूरि के चरण प्रक्षाल का जल मुछित पर छांटना ४६ सूरिजी का उपदेश और राजा मंत्री सवालक्ष क्षत्रियों ने जैन धर्म स्वीकार ५० उपकेशपुर की राज सभा में सूरिजी और पाखण्डियों का शास्त्रार्थ ५१ प्राचार्य रत्नप्रभसूरि के नेत्रों में देवी ने वीमारी कर डाली ५२ मंत्री ऊहड़ की गाय का दूध कम होने का कारण (वीर मूर्ति) ५३ दसरावा के प्रसंग पर देवी की पूजा सात्विक पदार्थ से
५४ देवी की बनाइ मूर्ति हस्ती पर आरूढ़ कर जलूस के साथ नगर में लाना १०५ Jain Education Internativ १५ उपकेशपुर और कोरंटपुर में एक लग्न में सूरिजी ने प्रतिष्ठा करवाई १०४
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