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________________ अवधि केवली. मनः पर्यव | चौदह पूर्वधर साधु सं. साध्वी भावक श्राविक . .... ८४००० ५५४००० २७२० ५४५००० ३१६००० ९८०० १५०० १४... १३०.. १२००० १२६५० १२५५० १२.५० ११६५० १०४५० ०३०० ९१५० ८००० २४०० १३१००० ५२०००. ५१६०० ५.५००० १९३००० २३०० २००० ७२०० ७५.. ६५०. ३.००२० ५५०००० ३०.०३० | ४२०००० ४१०००० २५०००० २८०००० २००००० १२०००० १००००० १००००६ ८४००० १०३०.. ७२००० १००... ६८००० १००००० १६००० १२००० ६२४०० ६२००० ६१६०० ६०... ६०६०. १०५.०० २९८००० २९३००० २८८०.. २८१००० २७६००० २५७००० २५०००० २२९०.. २८९.०० २७९००० २१५००० २००००० २०६००० २०४००० १९०००० १७९००० १८४०.. १८३००० १७२००० १००००० ५४०० १२.. ६५.. ५५.. ४७१... १५८००० १४८००० १३६... ४२४... ४०१४०० १५... ५५०० १६०० ५००० १०.. २५०० २६०० १२.. २८.. २२०० १३४. २५५१ १७५० ३८१.०० ३७२००० २२.. १८०० १५०० ३००० १२५० १५० ११.०० १५.. १५०० ३३६... १८.०० १६००० ७५० ३८.०० १६४००. १५९००० ५०० ३.० १०८००००० एक करोड़ पाठ लाख सोनइयों का दान करते हैं। एक वर्ष तक निरन्तर दान करने से ३८८८०००००० सोनइयों का दान करते हैं । ९-तीर्थंकरों के तपस्या का पारणा के समय प्रथम दान देने वाला महा पुन्यवान होता है। प्रथम के आठ तीर्थकरों को दान देने वाले उसी भव में मोक्ष गये शेष दातार तीन भव करके मोक्ष जायंगे। १०-तीर्थकरदेव जहां पारणा करते हैं वहां जघन्य सादा बारह लक्ष और उत्कृष्ट सादा बारह करोड़ सोनइयों की बरसात होती है और सुगन्ध जन पुष्पादि की भी बरसात होती है। ११-भगवान ऋषभदेव के शासन में उत्कृष्ट बारह मास का सप मध्यम २२तीर्थकरों के शासन में पाठ "गास और चरम तीर्थकर महावीर के शासन में साधू छः मास का उत्कृष्ट तप करते थे। www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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