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जन्म नक्षत्र
४४
उत्तराषाढ़ा
रोहिणी
मृगशिर
पुनर्वसु
मघा
चिा
विशाखा
अनुराधा
मूल पूर्वाभाषाढ़ा
श्रवण
शतभिषा
उत्तरा भा०
रेवती
पुष्य
भरणी
कृतिका
रेवती
भश्विनी
श्रवण
अश्विनो चित्रा
विशाखा उत्तराषाढ़ा
जन्म राशि
ལྦབྷྲ ཝཿ སྠཽབྷྲཨྠ』 བྷཱཞཱ སྠཽ
४५
मिथुन
वृश्चिक
कुम्भ
मीन
मेष
སྠཽ
སྤྲ ཤྲཱ སྤྲ སྠཽ སྒྲ སྠཽ སྠཽ སྠཽ
मीन
मेष
मेष
गण
४६
मानव
देव
देव
देव
राक्षस
༧ ༔ ཎྜཱ ·༄ ལ སྒྲ སྠཽ ༄ ཎྜཱ སྠཱ ལིཾ
देव
देव
देव
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33
राक्षस
99
मानव
योनि
४७
སྠཽ ཀཱ རྞྞ ༣, ༣ ཞཱ
सर्प
वर्ग
ལླཾ བྷྲ ལཱ
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गरुड़
सर्प मेष
बीलाड़ी | गरुड़ मूषा
मेष
བླློ
ཝཱ
ཝཱ ཝཱ ཝཱ ཝཱ ཝཱ ཎྞཱ
मूषक
सिंह
–
॰
སྠཽ སྠཽ ླ སྠཽ སྠཽ, སྠཽ བཿ, སྥ སྠཽ ཟ སྠཽ ལུཿ སྠཽ ལཿ སྠཽ སྠཽ ཙྪཱ སྠཽ གྒཱ, སྨཱ སྠཽ མྦཱ
बीलाड
गरुड़
मूषक
८
सः
मृग
लच्छन
४९
वृषभ
हस्ति
अश्व
चन्द
कीच पक्षी
पद्मकमल
साथियों
चन्द्रमा
मगरमच
श्रीवत्स
गेंडो
पाड़ो
वराह
सिचोणो
बज
हिरण
बकरो
नदीवर्त
कलश
कच्छ
कमल
शंष
सर्प
सिंह
पिता का नाम
संव
मेध
५०
नाभि
राज मरुदेवी जितशत्रु विजया
जितारी
सेना
सिद्धार्था
श्रीधर
प्रतिष्ट
महासेन
सुग्रीव
दृढरथ
बिष्णु
वसुपुज्य
कृतवर्मा
सिंहसेन
भानुं
विश्वसेन
शूर
सुदर्शन
कुम्भ राजा
सुभित्र
विजय
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59
53
33
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32
रामा
नंदा
बिष्णा
जया
श्यामा
"" सुयशा
सुव्रता
अचिरा
99
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29
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39
99
93
माता नाम
५१
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मगला
सुसीमा
पृथ्वी
लक्ष्मणा
समुन्द्रविजय, शिवादेवी अश्वसेन वामादेश सिद्धार्थं
शिला
श्रीराणी
देवी
प्रभावती
प्रभावती
विप्रा
वंश
५२
इक्ष्वाक
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99
35
99
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29
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हरीवश
इक्ष्वाक
हरिवंश
इक्ष्वाक
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त्रिलोक्यनाथ का सूतिक कर्म करे । छप्पन दिशाकुमारी जैसे - मेरु पर्वत के गजदंतादि के पास रहने वाली अधोलोकवासी श्रठ, मेरु के नन्दन बन के कूटों पर रहने वाली उर्ध्वलोकवासी आठ, रूवकद्वीप के पूर्व दिशा में रहने वाली ८, पश्चिम की ८, उत्तर को ८, दक्षिण की ८, मध्य में रहने वाली ४, और विदिशा में रहने वाली ४ एवं सर्व मिलकर ५६ दिक्कुमारी अपरिग्रहित देवियां समझनी ।
- कंदलीगृह २ – भूमिशोधन संवर्त्तकवायु ३ – सुरभि नल वृष्टि ४ -- जलपूर्ण अभिषेक कलस - ऐनक ६ - बींजना ७ - चामर ८ दीपक ९ - नाल च्छेदन एवं नृत्य करती है इनमें प्रत्येक देवी के
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