________________ वैशाली के सम्बन्ध में नवयुग साप्ताहिक का अभिप्राय (15.12-46) प्रस्तुत पुस्तक में श्रीयुत जैनाचार्य जी ने वैशाली की ऐतिहासिक और भौगोलिक स्थिति पर विवेचनात्मक प्रकाश डाला है। आपने बौद्ध साहित्य, जैनसाहित्य और वैदिकसाहित्य के दृष्टि कोणों का भी समन्वयात्मक संकलन किया है। आज के भारत के नक्शे में वैशाली की भौगोलिक स्थित कहाँ हो सकती है / इसे खोज के साथ एक नक्शे में देकर स्तुत्यकार्य किया गया है। भारत की प्राचीन राजधानियों की पुरातत्त्वविभाग द्वारा जो खोज हुई है, उनका ऐतिहासिकरूप से विवेचन होना चाहिए, और इसी पुस्तक की भांति अन्यराजधानियों पर भी पुस्तकों का प्रकाशन होना चाहिए। __यद्यपि जैनाचार्य जी का वैशाली के प्रति आकर्षण महावीरस्वामी के जन्मस्थान होने के कारण ही हो सकता है, परन्तु पुस्तक में कहीं भी एकांगी दृष्टिकोण नहीं। पुस्तक ऐतिहासिक भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्व पूर्ण पठनीय और संग्रहणीय है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org