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महाराज का एक भव्यमन्दिर है, मन्दिर के चारों ओर धर्मशाला है दूसरी धर्मशाला इसके बाहर है । मन्दिर के पास में एक टेकरी है, वह भी वताम्बरों के अधिकार में है । एक नसियां जी ( चरणपादुकाएं ) भी है जिस में श्री ऋषभदेवस्वामी की चरणपादुकाएं विराजमान हैं, श्री शान्तिनाथ जी महाराज, श्री कुन्थुनाथ जी महाराज, श्रीमरनाथ जी महाराज और मल्लिनाथ जी महाराज की चरणपादुकाएं भी हैं। अन्य तीन सियां जी दिगम्बरों की हैं। इस मन्दिर के पास ही मन्दिर की बारह सौ बीघा भूमि पट्टी पांडवां में है । ऋषभदेव भगवान का परणा यहीं वैशाख शुदि तीज को कराया गया था । आजकल जो जैन चरसीतप का पारणा श्री सिद्धाचल जी में जाकर करते हैं वह उपयुक्त नहीं है, बरसीतप का पारणा यहीं हस्तिनापुर में ही करना उचित है—यही हमारा अनुरोध भी है
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इस तीर्थ का जीर्णोद्धार कई बार हो चुका है, अन्तिम जीर्णोद्धार श्री प्रतापचन्द्र जी पारसान जौहरी कलकत्ता निवासी ने कराया था और प्रष्ठा श्रीजिनकल्याणसूरि जी ने कराई थी। नसियां जी का जीर्णोद्धार भोगी लाल लहरचन्द उत्तमचन्द्र पाटनवालों ने कराया था। इस तीर्थ का प्रबन्ध करने के लिये एक कमेटी है । दिल्ली में पहले इस तीर्थ
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