________________
परिषद् में गये और साधुओं को चातुर्मास पूरा होने तक नहीं टिकने देने को कहा, पर नमुचि नहीं माना । तब विष्णकुमार ने तीनों पगों का स्थान मांगा और नमुचि नहीं माना । तब विष्णकुमार ने अपना शरीर बढ़ाकर एक लाख योजन कर लिया । उसने प्रथम पग पूर्वसमुद्र में रखा और दूसरा पग पश्चिमसमुद्र में रखा और तीसरा पण नमुचि के सिर पर इस प्रकार रखा कि उसकी मृत्यु हो गई । इस घटना से विष्णकुमारमुनि का नाम त्रिविक्रम ख्यात हो गया । महापद्म ने चक्रवर्ती का राज्य छोड़ कर दीक्षा ले ली और अन्त में मुक्ति को प्राप्त हो गया।
श्रीमदभगवतीसूत्र२३में हस्तिनापुर के बलराजा के पुत्र महावल का उल्लेख है । इन्होंने अपने पिता से उत्तराधिकार में हस्तिनापुर का राज्य प्राप्त किया था। परन्तु राज्याभिषेक होने के बाद ही ये धर्मघोष से दीक्षा ले कर साधु हो गये और अन्त में मर कर पांचवें देवलोक में दस २३. श्रीमद्भगवतीसूत्र, शतक ११, उद्देशक ११ २१. निरयावलियाओ. पुष्पिका नामक तीसरा वर्ग
नवां अध्ययन ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org