________________
सूरीश्वर और सम्राट् ।
उसने अकबरके साथ युद्ध करना ठाना था। यह खबर अकबरको पहिलेहीसे मिल गई थी। इसलिए उसने अपनी फौज पंजाबमें भेज दी। लड़ाई हुई। अकबरके सेनापति मुनीमखाँने सन् १९६० ईस्वीमें बहरामखाँको कैद कर लिया । ___इस तरह राज्यकी बागडोर अकबरने अपने हाथमें ले ली थी, तो भी वह खराब सोहबतसे एकदम बच न सका था। कहा जाता है कि, वह तीन बरसके बाद बुरी सोहबतसे निकल कर सर्वथा स्वाधीन हुआ था।
जहाँ देखो वहीं राजाओंमें यह दुर्गुण होता ही है। अपनी बुद्धिसे काम करनेवाले और पूरी जाँचके साथ न्याय करनेवाले राजा बहुत ही थोड़े होते हैं । अपने पास रहनेवाले लोगोंकी बातों पर चलनेवाले राजा प्रायः ज्यादा होते हैं । अभी कई देशी राज्योंकी प्रजा अपने रानाओंको उपेक्षाकी दृष्टि से देखती है या उनसे घृणा करती है, इसका कारण यही है कि, वे ( राजा ) जो आज्ञाएँ प्रकाशित करते हैं बेसोचे समझे और किसी बातकी जाँच किये विना करते हैं। उनके पास रहनेवाले खुशामदी दर्बारी राजाको खुश करनेकी गरजसे या अपना कोई मतलब बनानेके लिए राजाको उल्टी सीधी बातें समझा देते हैं और राजा उसीके मुवाफिक हुक्म जारी कर देते हैं । उसीका परिणाम है कि आजकल राजा और प्रजाके बीच मन-मुटाव हो रहा है । वास्तवमै तो राजाको हरेक बातकी जाँच करके ही काम करना चाहिए। उसके कामास किसी पर अन्याय नहीं होना चाहिए । अकबरका प्रारंभिक काल भी करीब करीब ऐसा ही था। यानी खुशामदी दर्बारियोंके भरोसे ही राजकाज चलता था। मगर पीछे से वह ( अकबर ) अपनी बुद्धिसे कार्य करना ही विशेष पसंद करने लगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org