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सम्राट्-परिचय । कर रहा था, उस समय कामरानको किला बचानेका कोई उपाय नहीं सूझा । इसलिए उसने किले पर-जहाँ गोलेकी मार लगती थी-अकबरको ला खड़ा किया । हुमायुको तोप छोड़ना बंद रखना पड़ा । कारणदूसरोंको नष्ट करने जाते उसका प्यारा बेटा ही सबसे पहिले नष्ट हो जाता । इस लडाई में आखिरकार हुमायुं ही जीता । कामरान हार कर भारतमें भाग आया । हुमायुको फिरसे अपना प्यारा पुत्र अकबर और काबुल देश मिले।
हुमायुं भी कामरानसे कम निठुर नहीं था। उसके भाईने जो कष्ट दिये थे उनका बदला लेनेमें उसने कोई कसर नहीं की थी। जब उसे फिरसे दिल्लीका राज्य मिला, तब उसने कामरानको कैद किया; उसकी आँखे फोड़ी, उनमें नींबू और नमक डाला । इस तरह दुःख दिया, तत्पश्चात् उसको मक्का भेज दिया। इसी भाँति उसने अस्करीको भी तीन साल तक कैदमें रख कर मक्का भेज दिया ।
अपसोस ! लोभाविष्ट मनुष्य क्या नहीं करता है ? लाखों आदमी जिनकी आज्ञा मानते थे, जो बुद्धिमान समझे जाते थे वे भी जब ऐसी २ क्रूरता और निर्दयताका व्यवहार करने लग जाते हैं तब यही कहना पड़ता है कि यह सब लोभका ही प्रताप है।
ई० स० १५५१ में हुमायुका तीसरा भाई हिंडाल-जो गजनीका राज्य करता था-मर गया । हुमायुंने अकबरको वहाँका हुक्मराँ बनाया । हिंडालकी लड़की हुकैयाबेगमके साथ अकबरका ब्याह हुआ। जिस समय अकबर गजनीमें हुकूमत करता था उस समय कई अच्छे २ व्यक्ति उसकी संभाल रखते थे। कहा जाता है कि, अकबर केवल छः महीने तक ही गजनीमें रहा था।
__ अकबर बचपनहीसे महान तेजस्वी और बहादुर था। बड़ीसे बड़ी तोपकी आवाजको भी वह सामान्य पटाखेकी आवाजके समान
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