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________________ सूरीश्वर और सम्राट । वि० सं० १६३६ में भी ऐसा ही एक उपद्रव हुआ था। जब हीरविजयसूरि अहमदाबाद गये तब वहाँके हाकिम शहाबखाँके पास जा कर किसीने उनके विरुद्ध शिकायत की कि,-" हीरविजयसूरिने बारिश रोक रक्खी है।" शहाबखाँने यह बात सुनते ही हीरविजयसूरिको बुलाया और कहाः-"महाराज! आज कल बारिश क्यों नहीं बरसती है ? क्या आपने बाँध रक्खी है ? " सूरिजीने उत्तर दियाः-" हम वर्षाको क्यों बाँध रखते ? वर्षाके अभाव लोगोंको दुःख हो, उनके हृदय अशान्त रहें और जब लोग ही अशान्त रहें तो फिर हमें शान्ति कैसे मिले ?" इस तरह दोनोंमें वार्तालाप हो रहा था उसी समय अहमदाबादके प्रसिद्ध जैन गृहस्थ श्रीयुत कुँवरजी वहाँ जा पहुंचे। उन्होंने शहाबखाँको जैन साधुओंके पवित्र आचार और उत्कृष्ट, उदार विचार समझाये । सुन कर शहाबखाँ खुश हुआ। उसने सूरिजीको उपाश्रय जानेकी इजाजत दी । सरिजी उपाश्रय पहुँचे । श्रावकोंने बहुतसा दान दिया। जब दान दिया जा रहा था उस समय एक ट्रेकड़ी आया । उसके साथ कुँवरजो जौहरीका झगड़ा हो गया । 'सूरिजीको किसने छुड़ाया ? ' इस विषयमें बात होते होते दोनों तू ताँ पर आ गये । झगड़ा बहुत बढ़ गया । अन्तमें टूकड़ी यह कह कर चला गया कि, देखें अबकी बार तू कैसे अपने गुरुको छुड़ा लाता है। वह कोतवालके पास गया । सूरिजीको पुनः फँसानेके उद्देश्यसे उसने सूरिजीके विरुद्ध कोतवालको बहुत कुछ कहा। कोतवालने खानसे १ शहाबखांका पूरा नाम शहाबुद्दीन अहमदखां था । जो इसके विषय में विशेष बातें जानना चाहते हैं वे 'आइन-इ-अकबरी' के अंग्रेजी अनुवाद-जो ब्लॉकमॅनने किया है-के पहिले भागका ३३२ वा. पृष्ठ देखें । २ टूकड़ी यह सिपाहीका नाम है । यह तुरकीका बिगड़ा हुआ रूप है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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