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________________ सूरीश्वर और सम्राट् । मगर इस बातको सभी जानते थे कि, सलीम अकबरका पूरा विरोधी है; वह विद्रोही बनकर ही अलाहाबादमें रहता था। अकबर रातदिनकी चिन्ताओंसे दुर्वल होने लगा, उसका शरीर सुखने लगा। अकबरकी बेगम सलीमाबेगम पिता पुत्रमें मेल करानेकी इच्छासे अलाहाबाद गई, और सलीमको समझाकर आगरे लाई। सम्राटकी माताने दोनोंको समझाकर पिता पुत्रमें प्रेम कराया। उदार सम्राट्ने सलीमका अपराध क्षमा किया। परस्पर अमूल्य वस्तुकी लेन-देन हुई। फिर जब सलीम अलाहाबाद जाने लगा तब अकबरने कहा:-- " जब इच्छा हो तब आना" सलीम भी अपने दो भाइयोंसे किसी तरह कम दुश्चरित्र और शराबी न था । और जबसे वह स्वाधीन होकर अलाहाबाद रहने लगा था तबसे तो उसने बेलगाम होजानेसे हद ही कर दी थी। अकबर एक बार उसे समझानेके लिए अलाहाबाद जाने लगा था; परन्तु रस्तेहीमें उसे अपनी माताकी बीमारीके समाचार मिले, इसलिए वह वापिस आगरे लौट आया। उस समय उसकी माताका रोग दुःसाध्य हो गया था; जीम बंद हो गई थी। सिर्फ श्वासोच्छ्रास चल रहे थे। अकबर रोने लगा; आखिर वे भी बंद हो गये। सम्राटकी माताने इस मानवदेहका त्याग कर दिया। अकबरको बार बार जो आघात लग रहे थे उनकी वेदनाको वह माताके आश्वासनसे भूल जाता था। आज वह आश्वासन भी जाता रहा । अकबरको उदरामयका रोग भी उसी समय हो गया। पहले आठ दिन तक तो उसने कोई दवा न ली; मगर पीछे से लेने लगा। चतुर हकीमोंने बहुत इलाज किया, मगर फायदा किसीसे कुछ भी नहीं हुआ। रोग बढ़ता ही गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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