SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 373
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सरीश्वर और सम्राट् । संक्षेप यह है कि अकबरकी राज्यव्यवस्थार्मे न्याय और दयाका मिश्रण था । न्याय विभागमें उसने जो सुधार किये थे वे उस जमाने के लिए बहुत ही सुधरे हुए कहे जा सकते हैं । उसके कानूनों में दया और प्रजा - प्रेम झलकते थे । अकबर ने अपने ही लिए नहीं बल्के अन्यान्य सूबेदारों और ओहदेदारों के लिए भी जो कानून बनाये थे उनमें उक्त दो बातें खास तरहसे लक्षमें रक्खी गई थीं। हम उसके सूबेदारोंहीके कानूनों को देखेंगे । उसके प्रत्येक सूबेदारको निम्न लिखित बातों पर खास तरहसे ध्यान देना पड़ता था । ३३० १ - सदा लोगों के सुखका ध्यान रखना । २ - गंभीरतापूर्वक ऊहापोह किये विना किसीकी जिंदगी नहीं लेना; अर्थात् मृत्युकी सजा नहीं देना । ३- म्यायके लिए जो अर्जी दे उसमें देर करके, न्यायके इच्छुकको दुःखी नहीं करना । ४ - पश्चात्ताप करनेवालोंको क्षमा करना । ५ - रस्ते अच्छे बनाना । ६ - उद्योगी किसानों से मित्रता करना अपना कर्तव्य समझना । उपर्युक्त बातों में किन बातोंका समावेश नहीं होता है ? अब अकबरकी कुछ अन्यान्य व्यवस्थाओं का दिग्दर्शन कराया जायगा । अकबर के समय के सिक्कों के लिए कहा जाता है कि, उसने पहले के राजाओं की छापवाले सिक्कोंको गलाकर अपनी नवीन छापके सिक्के चलाये थे । अकरके एक रुपये के सिक्केके ४० 'दाम' होते थे । एक 'दाम' वर्तमानके एक पैसे से कुछ विशेष होता था । 'दाम' ताँबे का सिक्का था और रुपया चाँदीका सिक्का था । अकबरका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy