SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 368
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्राट्का शैषजीवन । रासे पाँच माइल दूर 'सरनाल ' तक आ पहुँचा है । अकबरके एक सेनापतिने सलाह दी कि, जबतक हमारी दूसरी सेना न आ जाय तबतक हमें आगे नहीं बढ़ना चाहिए और रातको छापा मारना चाहिए । अकवरने इस बातको बिलकुल नापसंद किया और कहा,-"रातको छापा मारना अनीतिका युद्ध है।" अकबर, मानसिंह, भगवानदास और अन्यान्य मुसलमान सर्दारोंके साथ नदी पार कर सरनाल आया और इब्राहीम हुसेन मिर्जाको, युद्ध कर ई. स. १५७२ के दिसंबरकी २४ वीं तारीखके दिन, उसने पराजित किया। यह बात तो निर्विवाद है कि, अकबरने अविश्रान्त युद्ध करके, बहादुरी दिखाक और होशियारीसे कार्य करके अपनी आन्तरिक इच्छा पूर्ण की थी। उस की सबसे पहली और प्रबल इच्छा थी समस्त भारतमें अपना एकछत्र राज्य स्थापित करना । अनेक अंशोंमें उसने अपनी यह इच्छा पूरी की थी। दूसरे शब्दोंमें कहें तो इ.स. १९९५ तकमें तो वह उन्नति के सर्वोच्च शिखरपर पहुँच गया था । अकबरने इच्छित फल प्राप्त किया, एकछत्र साम्राज्य स्थापित किया और सर्वत्र शान्ति फैला दी। यद्यपि ये बातें सही हैं तथापि वीरप्रसू भारतमाताकी, महाराणा प्रताप, जयमल, पता, उदयसिंह, और हेमके समान वीर सन्तानोंने, तथा किसी भी हिन्दु मुज़फ्फ़रहुसेन मिर्जा था। विशेषके लिए देखो आईन-इ-अकबरी प्रथम भागके अंग्रेजी अनुवादका पृ० ४६१-४६२. १- हेमूने अकबर के अधिकारकी कुछ परवाह न कर आगरेको अपने कबजे में करलिया था। मगर अति लोभके कारण वह अन्तमें कुरुक्षेत्र में मारा गया था। पृष्ठ ४७-४८ में इस बातका उल्लेख होचुका है । यह ठीक है कि अन्तमें वह मारा गया था, मगर साथ ही यह भी ठीक है कि, वह वीरप्रस भारतमाताका वीर पुत्र था। हेमूकी वीरताके संबंधमें प्रो० आजादने अपनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy