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________________ રૂર सूरीश्वर और सम्राट। भेजाथा । यह किला भट्ठा अथवा रीवांके राजा रामचंद्रदेवके कबजेमें था । रामचंद्र जब उसके शरण आगया तब अकबरने उसे अलाहाबादके नजदीक एक जागीर दी थी। अभिप्राय यह है कि, जो राजा अकबरके साथ युद्ध करते थे; हजारो मनुष्योंको कतल करते करवाते थे और लाखों रुपये पानीकी तरह खर्चाते थे, वे ही राजा जब उसके आधीन-संधी करके या हार के हो जाते थे तब वह उनके साथ लेश मात्र भी शत्रुता नहीं रखता, प्रत्युत प्रायः वह उनका सम्मान ही करता था। अकबर जैसे शत्रुओंका सम्मान करता था वैसे ही वह अनीतिपूर्वक युद्ध करनेसे भी वृणा करता था। उसका हम एक उदाहरण देंगे। जब अकवर दोसौ मनुष्य लेकर "मही' नदीके पास आया तब उसे मालूम हुआ इब्राहीम हुसेन मिर्जा बहुत बड़ी सेना लेकर ठगल सौंपकर इसकी शरणमें आ गया था। अकबरने मजन्नखाँको उस किलेका सेनापति बनाया था । तवकातके कथनानुसार यह पंचहजारी था । इस के अलावा उसे जब जरूरत होती तंभी पाँच हजार सेना और मिल सकती थी । अन्तमें यह घोराघाट (बंगाल) का युद्ध जीतने के बाद मर गया था । विशेषके लिए देखो-आईन इ-अकबरी प्रथम भागका अंग्रेजी अनुवाद | पृष्ठ ३६९-३७.. १-राजा रामचंद्र वाघेला वंशका था । वह भठ्ठा (रीवां) का राजा था। बावरने भारतवर्षके ३ बड़े राजा गिनाये हैं । उनमें भट्ठाके राजाको तीसरे नंबर बताया है । सुप्रसिद्ध गवैया तानसेन पहले इसी राजा रामचंद्रके आश्रयमें रहता था । इसके पालहीसे अकबरने उसे अपने दर्धारमें बुलाया था । जब तानसेनने सबसे पहले अकबरको अपनी विद्याका परिचय दिया था तब अकबरने उसको २ लाख रुपये इनाम दिये थे । देखो--आईन-इअकबरी प्रथम भागका अंग्रेजी अनुवाद । पृ. ४०६. २-इब्राहीमहुसेनमि के पिताका नाम महमदसुल्तानमिर्जा था। इसका दूसरा नाम शाह मिर्जा भी था। उसके लड़केका नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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