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सम्राट्का शेषजीवन। पानी मंत्र कर उसे दिया और कहा:--" इसको पीना; धर्मके कार्य करना; किसी जीवको मत मारना; और मांस भी मत खाना । यदि तू मेरे कथनानुसार करेगी तो तेरे बहुतसी सन्ताने होंगी।"
सचमुचही उसके एक एक करके बारह बाल बच्चे हुए।
दूसरा एक उदाहरण और भी दिया गया है कि-" आगरेका एक सौदागर व्यापारके लिए परदेश गया था । रास्तेमे उसे उसके कई ऋणदाता मिले । सौदागरने सोचा कि, अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचेगा, ये लोग मेरा सब कुछ लेलेंगे । उसने अकबरकी मानता मानी कि, अगर मेरा माल बच जायगा तो चौथा भाग मैं अकबरके भेट कर दूंगा।
उसका माल बच गया । व्यापारमें भी उसको अच्छा नफा रहा । उसने दूसरी बार और व्यापार प्रारंभ कर नफेका चौथा भाग अकबरके भेट करनेकी मानता मानी । उसमें भी उसे अच्छा नफा मिला । इस प्रकार उसने तीन बार मानता मानी और तीनों बार लाम उठाया । मगर उसके मनमें बेईमानी आई और उसने नफेका चौथा हिस्सा अकबरके पास नहीं पहुँचाया ।
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थे । सम्राट् स्वयं हरएक तरहक लेन-देनको देखता था । जो लोग बाजार में पहुँच सकते थे वे वस्तुएँ खरीदनेमें आनंद मानते थे। उस समय लोग सम्राटको अपने दुःखोंकी कथाएँ भी सुनाया करते थे। कोई उन्हें ऐसा करनेसे रोक नहीं सकता था। व्यापारी अपनी परिस्थितियाँ सम्राटूको समझाने और अपना माल बतानेका यह अवसर कभी नहीं चूकते थे । जो प्रामाणिक होते थे उनकी विजय होती थी और जो अनीतिवान होते थे उनकी जाँचपड़ताल की जाती थी।
इस समय खज़ानची और हिसाबी भी मौजूद रहते थे । वे तत्काल ही माल बेचनेवालोंको रुपया चुका देते थे । कहा जाता है कि, व्यापारियोंको ऐसे प्रसंगमें अच्छा नफा मिलता था ।
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