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सूरीश्वर और सम्राट्। ___ अकबरने एकबार उस सौदागरको बुलाकर कहा:- चौथा हिस्सा क्यों नहीं लाता है ? "
सौदागरको आश्चर्य हुआ। वह कहने लगाः-" सचमुच ही आप तो जागते पीर हैं । मैंने यद्यपि यह बात किसी दूसरेसे न कही थी; परन्तु आपको तो मालूम हो ही गई।" तत्पश्चात् वह अनेक प्रकारसे अकबरकी स्तुति कर चौथा भाग दे गया ।"
एक बार एक स्त्रीने मानता मानी कि, यदि मेरे पुत्र होगा तो मैं उत्सव पूर्वक बादशाहको बधाऊँगी और दो श्रीफल भेट करूँगी।
समयपर स्त्रीके पुत्र हुआ। उसने उत्सवपूर्वक अकबरको बधाया और उसके सामने एक श्रीफल रक्खा । अकबरने कहा:-" मानता दोकी मानी थी और भेटमें एक ही कैसे रक्खा ? " स्त्री बड़ी लज्जित हुई । उसने तत्कालही दूसरा श्रीफल सामने रखा । वगेरः वगेरः ।
उपर्युक्त कथाओंमें सत्यांश कितना है इसका निर्णय इस समय होना असंभव है। चाहे कुछ भी हो, यह सच है कि, उसकी मानता मानी जाती थी। अनेक लोग उसे ईश्वरका अवतार मानते थे। इसमें मतभेद नहीं हैं । श्रीयुत बंकिमचंद्रलाहिड़ीने अपने सम्राट अकबर नामक बंगाली पुस्तकके २८२ वें पृष्ठमें लिखा है कि
से समयेर हिन्दू ओ मुसलमान सम्राटके ऋषिवत् ज्ञान करित, ताँहार आशीर्वादे कठिन पीडा आरोग्य हय, पुत्र कन्या लाभ हय, अभीष्ट सिद्ध हय, एइ रूप सकले विश्वास करित । एइ जन्य प्रत्यह दले दले लोक ताँहार निकट उपस्थित हइया आशीर्वाद प्रार्थना करित ।"
अर्थातू-उस समयके हिन्दू और मुसलमान सम्राटको ऋषिके
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