SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६४ सूरीश्वर और सम्राट्। निकाला था । ठक्कर लाईने अकबरपुरमें मंदिर और उपाश्रय बनवाये थे । ठक्कर वीरा और सोढाने भी जिनभुवन बनवाये थे । कुंवरपालने दिल्लीमें भव्य जिनमंदिर निर्माण कराया था। ___ वर्तमानमें कुछ लोगोंको यह बात अनुचित मालूम होगी; परन्तु हमें यह कहना पड़ता है कि, हम जिस समयका अवलोकन कर रहे हैं उस समयके लिए सूरिजीका उपदेश समुचित-योग्य था। क्योंकि कालके प्रभावसे कुछ ही समय पहिले, कुछ मुसलमान शासकोंके जुल्मके सबबसे अनेक स्थानोंके मंदिर नष्ट होगये थे और अनेक स्थानोंमें मूर्तियाँ असातनाके भयसे गुप्त स्थानोंमें छिपा दी गई थीं। वैसी दशामें धर्मकी रक्षाके लिए मंदिर बनवानेका उपदेश समयके अनुकूल ही था । संक्षेपमें यह है कि अपने नायक हीरविजयसूरिके तमाम कामोंको ध्यान पूर्वक देखनेवाला हरेक सहृदय यही कहेगा कि, उन्होंने समयके प्रवाहको ध्यानमें रखकर ही उपदेश दिये थे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy