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________________ प्रकरण छठा। विशेष कार्यसिद्धि । थे प्रकरणमें यह उल्लेख हो चुका है कि, अकबरने अपनी धर्मसभाके १४० मेम्बरोंको पाँच भागोंमें विभक्त किया था । अर्थात् एकसौ चालीस मेम्बअारोंकी पाँच श्रेणियाँ बनादी थीं। उनमें प्रथम श्रेणीमें जैसे हीरविजयसूरिका नाम है वैसे ही पाँचवीं श्रेणीमें भी विजयसेनसूरि और भानुचंद्र नामक दो महात्माओंके नाम हैं। अबुल्फजलने 'आईन-इ-अकबरी ' के दूसरे भागके तीसवें आईनके अन्तमें इन एकसौ चालीस सभासदोंके नाम दिये हैं। उनमें ५४७ वें पेजमें इन दोनों महात्माओंके नाम हैं। --139 Bijaisen sur,, 140 Bhanchand ये 'विजयसेनसूर ' और 'भानचंद' ही विजयसेनसूरि और भानुचंद्र हैं । इन दोनों महात्माओंने भी अकबरकी सभामें जैनोपदेशकका कार्य किया था। इसलिए इनके संबंधमें भी यहाँ कुछ लिखना आवश्यक है। इन दोनों महात्माओंके विषयमें कुछ लिखनेके पहिले हम शान्तिचंद्रजीके लिए, जिनका पाँचवें प्रकरणमें नामोल्लेख हो चुका है और जिनको मूरिजी बादशाहके आग्रहसे आमरेहीमें छोड़ आये थे, कुछ लिखना आवश्यक समझते हैं। अर्थात् इस बातका उल्लेख करेंगे कि उन्होंने अकबरके पास रहकर क्या क्या कार्य किये थे? यह बात तो निःसंदेह है कि शान्तिचंद्रजी महान् विद्वान थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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