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________________ सूरीश्वर और सम्राट्। अब फतेहपुरसीकरी केवल छःकोस ही रही है । सूरिनी अभिरामाबाद पहुंच गये हैं । इस तरहकी खबर फतेपुरमें बहुत जल्दी जाता है । यह बात साथमें हीरविजयसूरिके विहारका जो नक्शा दिया गया है उससे स्पष्टतया मालूम हो जायगी । दूसरी बात यह है कि, हीरविजयसूरिने फतेहपुर जाते आखिर मुकाम अभिरामाबादहीमें किया था। हीरसौभाग्य काव्यके तेरहवें सर्गमें भी लिखा है कि,पवित्रयस्तीर्थ इवाध्वजन्तून्पुरेऽभिरामादिमवादनानि । यावत्समेतः प्रभुरेत्य तावद् द्राग्वाचकेन्द्रेण नतः स तावत्॥४॥ ___इससे मालूम होता है कि, विमलहर्ष उपाध्याय फतेहपुरसीकरीसे यहाँ तक सामने आये थे । और यहाँ आकर उन्होंने यह बतलाया था कि, बादशाह आपका समागम चाहता है । यह दात इस श्लोकसे मालूम होती है,मघो पिकीकान्त इवैष युष्मत्समागम काझक्षति भूमिकान्तः। तद्वाचकेनेत्युदितो व्रतीन्द्रः फतेपुरोपान्तभुवं बभाज ॥४५॥ इस श्लोकसे यह भी मालूम होता है कि, जहाँ विमलहर्ष उपाध्यायने उपर्युक्त समाचार कहे थे वह स्थान फतेहपुरसे थोडी ही दूर होना चाहिए । ऋषभदास कवि 'हीरविजयसूरि रास'में लिखते हैंबयाना नइ अभिरामाबाद गुरु आवंतां गयो विषवाद फतेपुर भणी आवइ जस्यि अनेक पंडित पूठिं तस्यइ "॥५॥ (पृष्ठ १०८) इससे भी यह विदित होता है कि, अभिरामबाद सूरिजीका अन्तिम मुकाम था । यहाँसे रवाना होकर वे फतेहपुर हो ठहरे थे। इसके उपरान्त एक प्रथल प्रमाण दुसराभी मिलता है । ' जगदगुरु काव्य ' में लिखा है,आयाता इह नाथहीरविजयाचार्याः सुशिष्यान्विता इत्थं स्थानकसिंहवाचिकमसौ श्रुत्या नृपोऽकब्बरः । स्वं सैन्यं सकलं फतेपुरपुराद्गव्यूतषटकान्तरा यातानामभि सम्मुखं यतिपतीनां प्राहिणोत् स्फीतियुक्॥ इससे जान पड़ता है कि,-सरिजी छ: कोस दूर हैं यह जानकर उनका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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