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________________ आमंत्रण NAANANAM गुरु कैसे होंगे ? उसने अपनी प्रसन्नता शब्दों द्वारा भी प्रकट की। इसके वाद उपाध्यायनी आदि वापिस उपाश्रय आये। बादशाहके साथकी इस प्राथमिक भेटसे उपाध्यायनी और दूसरे मुनियोंको यह निश्चय हो गया कि, बादशाहके संबंध जो किंवदन्तियाँ सुनी जाती थीं वे मिथ्या थीं। बादशाह विनयी, विवेकी और सभ्य है । वह विद्वानोंकी कदर करता है। उसके हृदयमें धर्मकी भी वास्तविक जिज्ञासा है। बादशाहके साथ उपाध्यायजीकी मुलाकात हुई। उसके बाद फतेहपुर सीकरीके बहुतसे श्रावक श्रीहीरविजयसूरि महाराजकी अगवानीके लिए साँगानेर तक गये। उन्होंने बाहशाह और उपाध्यायजीकी भेटका सारा वृत्तान्त सुनाया और यह भी कहा कि, बादशाह आपके दर्शनों के लिए बहुत आतुर है । सूरिजीको इन बातोंसे बड़ा आनंद हुआ । उनके हृदयमें किसी कोनेमें बादशाहके विषयमें यदि शंका रही होगी तो वह भी नष्ट हो गई। उनके हृदयमें बार बार यह विचार उत्पन्न होने लगे कि,-कब बादशाहसे मिलूं और उसको धर्मोपदेश दूं। अस्तु ।" साँगानेरसे विहार कर सूरिजी नवलीग्राम, चाटसू, हिंडवण, सिकंदरपुर और बयाना आदि होते हुए अभिरामाबाद पधारे। * यहां संघमें कुछ झगडा था, वह भी सुरिजीके उपदेशसे मिट गया। उपाध्यायजी भी फतेहपुरसीकरीसे यहाँ तक सामने आये । * अभिरामाबादको कई लेखक अलाहाबादका पुराना नाम बताते हैं । मगर वह ठीक नहीं है । क्योंकि, सूरिजी जिस मार्गसे सीकरी गये थे उस मार्गमें अलाहाबाद नहीं आता है। अलाहाबाद तो पूर्व दिशामें बहुत दूर रह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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