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________________ आमंत्रण। पूछा:--" क्या तुम हीरविजयमूरिको जानते हो।" उसने जवाब दियाः- "हाँ हुजूर, जानता हूँ।वे एक सच्चे फ़कीर हैं । वे इक्का, गाड़ी, घोड़ा वगेरा किसी भी सवारीमें नहीं बैठते हैं । वे हमेशा पैदल ही एक गाँवसे दूसरे गाँव जाते हैं । पैसा नहीं रखते । औरतोंसे बिलकुल दूर रहते हैं। और अपना सारा वक्त खुदाकी बंदगी करने और लोगोंको धर्मोपदेश देनेमें गुजारते हैं।" ऐतमादखाँकी बातसे अकबरकी ईच्छा और भी प्रबल हुई। उसने निश्चय किया कि,-ऐसे सच्चे फ़क़ीरको दर्बारमें जरूर बुलाना चाहिए और उनसे धर्मोपदेश सुनना चाहिए । ___एक दिन बादशाहने बहुत बड़ा वरघोड़ा-जुलूस देखा। अनेक प्रकारके बाजे और हजारों मनुष्योंकी भीड़ उसके दृष्टिगत हुई। उसने टोडरमलसे पूछा:--" ये बाजे क्यों बज रहे हैं ? इतनी भीड़ क्यों हुई है ? " टोडरमलने जवाब दिया:-" सरकार ! जिस औरतने छः महीनेके उपवास शुरू किये थे वे आज पूरे हो गये हैं। उसकी खुशीमें श्रावकोंने यह ' वरघोड़ा ' निकाला है।" बादशाहने उत्सुकताके साथ फिर प्रश्न किया:--" क्या वह औरत भी वरघोड़ेमें शामिल है ? " टोडरमलने जवाब दिया:--" हाँ हुजूर, वह भी अच्छे अच्छे कपड़े और जेवर पहिन कर खुशीके साथ एक पालखीमें बैठी हुई है। उसके सामने सुपारियों और फूलोंसे भरे हुए कई थाल रक्खे हुए हैं।" दोनोंमें इस तरह बातें हो रही थी इतनेहीमें वरघोड़ा वादशाही महलके सामने आ पहुँचा। बादशाहने विवेकी मनुष्योंको भेज कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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