________________
पंचत्रिंशःस्तम्भः।
६५१ इन पूर्वोक्त पांचों कारणोमें भी, स्त्रीकी योनिमें पुरुषवीर्यके प्रवेश होनेसेंही, गर्भोत्पत्ति कही है. इसीतरें अन्य किसी स्त्रीकी योनिमें पूवोक्त पांच कारणोंसें वीर्य प्रवेश करजावे, और तिससे उसके गर्भोत्पन्न हो जावे तो, विरुद्ध नही. परंतु इन पूर्वोक्त पांचो कारणोंविना, और अपने पतिकेसंगमविना, जेकर गर्भोत्पत्ति हो जावे तो, अवश्यमेव तिस स्त्रीने व्यभिचारसें गर्भ धारण किया, ऐसा सिद्ध होवेगा. इसवास्ते पुरुषका वीर्य, जबतक योनिद्वारा स्त्रीके गर्भाशयमें नही जावेगा, तबतक कदापि गर्भोत्पत्ति नहीं होवेगी. इसवास्ते आनंदगिरिका लेख, युक्तिप्रमाणसें बाधित है. __ और जो शंकरखामीको महादेवका अवतार, और सर्वज्ञ लिखा है, सो भी मिथ्या है. क्योंकि, जब शंकरस्वामी मंडनमिश्रकेसाथ वाद करनेको गए हैं, तब मंडनमिश्रकी दासीको मंडनमिश्रका घर पूछा ! क्या सर्वज्ञ ऐसेको कहते हैं कि, जिसको मंडनमिश्रके घरकी भी खबर नहीं थी कि, कहां है ? मंडनकी भार्याके पूछे प्रश्नोंका उत्तर नही आया, क्या सर्वज्ञसें भी कोई बात छीपी है? मंडनमिश्रके घरमें व्यासजी, और जैमनीने श्राद्धका भोजन करा, क्या वेदांतीयोंके मतका यही पर्यवसान फल है, कि मरे पीछे, वा वेदांतीयोंकी मुक्ति हुए पीछे, वा ब्रह्म हुए पीछे भी, लोकोंके घरमें श्राद्ध जीमते फिरते हैं ? क्या सर्व वेदांती भी, इसीतरें लोकोंके घरमें श्राद्ध जीमते फिरेंगे ? जब व्यासजीही भूखे, और भोजन जीमते फिरते हैं तो, यह जगत्ही सबके काममें आता है, फिर जगत्को मिथ्या कहते हैं तो, क्या मिथ्या कहनेवालेही मिथ्यावादी नही है ? बलहारि है वेदांतियों ! तुमारे सिद्धांतका कैसा रहस्य है कि, मरे पीछे भी वेदांती, लोकोंके घरमें रोटीयां खाते फिरते हैं !!!
पूर्वपक्षः-मंडनकी भार्याके प्रश्नोंका उत्तर शंकरखामीने यह विचारके नही दिया कि, मेरे उत्तर देनेसें मेरे यतिधर्मका क्षय हो जावेगा. .. उत्तरपक्षः-जब राजाके मृतक शरीरमें प्रवेश करके मदिरापान किया, सैंकडों राणीयोंसें वात्स्यायनोक्त चौरासी (८४) आसनोंसें मैथुन सेवन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org