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________________ ६२७ चतुस्त्रिंशःस्तम्भः। तके षोडश (१६) अध्यायमें ब्रह्माकी बेटी कश्यपकी स्त्री कटूके अंडेको पकनेका काल पांचसौ ( ५००) वर्ष लिखा है, और वनिताके अंडेको पकनेका काल एक सहस्र (१०००) वर्ष लिखा है. । तथा महाभारतके एकोनविंश (१९) अध्यायमें राहुका शिर, पर्वतके शिखर जितना बडा लिखा है. । तथा एकोनत्रिंश (२९) अध्यायमें षट् (६) योजन ऊंचा, और बारां योजन लंबा, हाथी लिखा है.* तथा तीन योजन ऊंचा, और दश योजनका परिघ (घेरा), ऐसा कुर्म (कच्छु-काचबा) लिखा है. । तथा तौरेतग्रंथमें नुह आदि कितनेक मनुष्योंकी ९००, वा ८००, सौ वर्षकी आयु लिखी है. इससे मालुम होता है कि इस्से पहिले प्राचीनतर जमानेमें मनुष्योंमें बहुत बडी आयुवाले मनुष्य थे. इस समयमें भी हिंदुस्थानकी अपेक्षा कितनेक देशोंमें अधिक आयुवाले मनुष्य विद्यमान है; तो फिर, असंख्यकालके पहिले मनुष्योंकी सर्व देशोंमें शत (१००) वर्ष प्रमाणही आयु माननी, यह बुद्विमानोंको उचित है ? नहीं. इसवास्ते सर्वज्ञोक्त पुस्तकोंमें जो जो लेख है, सो सर्व सत्यही है. परंतु जो तुमारी समझमें नहीं आता है, सो तुमारी बुद्धिकी दुर्बलता है. क्योंकि, जो कोइ इस समयमें किसी नवीन पुस्तकमें लिख जावे कि, एक पुरुष सौ (१००) मण बोजा उठा सकता है, और एक पुरुष २७ मणकी लोहमयी मूंगली (मुद्गर-मोगरी)उठा सकता है, तो क्यातिस लेखको आजसें ५० वर्ष पीछे तुच्छबुद्धिवाले मान सकते हैं? नहीं. परंतु यह वार्ता हमारे प्रत्यक्ष है. पंजाब देशके लाहोर जिलेमें वलटोहे गामका रहनेवाला, फत्तेसिंह नामका एक सिख ४०, वा, ५०, वा १००, मणके बोजेवाले अरहट (रेंट)को उठा लेता है; और पूर्वोक्त जिलेमें चयांवाला गामका रहनेवाला, हीरासिंह नामका एक पुरुष २७ मण लोहेकी मूंगली (मुद्गर-मोगरी) उठाता है, यह हमारे प्रत्यक्ष देखनेमें आया है. इसीतरें सर्वज्ञके कथन किये प्राचीन लेख, कालांतरमें अल्पबुद्धिवालोंकी समझमें आने कठिन है. * बाबु शिवप्रसाद सितारे हिंद (स्टार आफ इंडिया )ने लिखा है कि, बड़े कदके आदमीको चढनेकेवास्ते इतना बडा घोडा कहांसे मिलता होगा ? सो इसका उत्तर भी जाणना कि, यदि इतना बड़ा हस्ती उस जमानेमें होता था, तो क्या घोडे नही होते होंगे ! ! ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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