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________________ ५६० तत्वनिर्णयप्रासाद.उतरः--प्रथम तो यह लेखही मिथ्या है. क्योंकि, हमारे (श्वेतांबरोंके ) शास्त्र में ऐसा लेखही नहीं है कि, हमारे मतके चौरासी आगम हैं. परंतु श्रीनंदिसूत्र में द्वादशांगोंसे पृथक् चौदह हजार (१४०००)प्रकीर्ण शास्त्र लिखे हैं. तिनमेंसें कालदोषकरके जितने व्यवच्छेद हो गए हैं, वे तो गए, जो बाकी शेष रहे हैं, तिन सर्वको हम मानते हैं. परंतु हमारे मतमें एवकार नही है कि, चौरासी, वा पैंतालीस, वा बत्तीसही मानने. जे मानते हैं, वे सर्व, मिथ्यादृष्टि, और जिनमतसें बाह्य हैं. और जो गच्छोंके भेदका दूषण दीया है, सो तो तुम्हारे मतमें भी समान है.तुम्हारे आचर्योनेही दिगंबरमतमें अनेक गच्छोंके भेद लिखे हैं, जिनमें से कितनेक ऊपर लिख आए हैं. परंतु इतना विशेष है कि, श्वेतांबरोंमें जितने गच्छ, वा मत कहे जाते हैं, वे सर्व, स्त्रीको मोक्ष १, केवलीको कवलाहार २, स्त्री तीर्थकर ३, गोसालेने तेजोलेश्या चलाई ४, केवलीको रोग ५, साधुको चतुदशादि उपकरण ६, इत्यादि सर्व बातें मानते हैं. .. और यह जो सर्वार्थसिद्धिवालेने लिखा है कि “तिनको ( वर्द्धमान स्वामीको ) केवल उपजे पछि गोसालानाम गरूड्याकू दिखा दइ” सो यह लेख भी, असत्य है. क्योंकि, गोसाला गरूड्या नहीं था, किंतु मंखलीपुत्र था. तथा भगवानने तिसको दीक्षा नहीं दीनी थी, किंतु उसने आपही शिर मुंडन करवायके शिष्यबुद्धि धारण करी थी. वास्तविकमें वो शिष्य नहीं था. क्योंकि, श्वेतांबरोंके शास्त्रोंमें इसको शिष्याभास लिखा है. तथा यह वृत्तांत भगवान् जब छद्मस्थ अवस्थामें विचरते थे, तिस वखतका है; परंतु केवलज्ञान हुए पीछेका नहीं है. और जो ढूंढियोंकी बाबत लिखा है, सो भी मिथ्या है. क्योंकि, ढूंढकपंथ जैन श्वेतांबरमतमें नहीं है. यह तो, सन्मूछिमपंथ है. संवत् १७०९ में सुरतके वासी लवजीने निकाला है. जैसे दिगवरोंमें तेरापंथी, गुमान'पंथी, आदि. तथा कितनेक विना गुरुके नग्न दिगंबर मुन, भोले श्रावगीयोंसें धन लेनेकेवास्ते बने फिरते हैं, और क्षुल्लक बने फिरते हैं, ऐसेंही श्वेतांबर मतके नामको कलंकित करनेवाला, आचार विचारसें भ्रष्ट, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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