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________________ त्रयस्त्रिंशस्तम्भः । पुनः पूर्वोक्त चरचासमाधानमें लिखा है, “धरसेनमुनि ज्ञानवान रहै कर्मप्राभृत दूसरे पूर्वकी कंठाग्रथा, तिनके अल्पायु अपनी जानकर ज्ञानके अविवच्छेद होनेके कारणते जिनयात्रा करने संघ आया था, तिनपास पत्री ब्रह्मचारीके हाथ भेजकर, तिक्ष्ण बुद्धिमान् भूतबलि, पुष्पदंत, नामे दो मुनि बुलवाये, तिनकू ज्ञान सिखाया, तिनकू विदाय करा.” यह लेख भी पूर्वोक्त ग्रंथोंसें विसंवादी है. क्योंकि, पूर्वोक्त ग्रंथोंमें ऐसें लिखा है. बहुरि ताकै पीछे तथा श्रीवीर भगवान्कू निर्वाण भये पीछे छहसै तेतीस वर्ष भुक्ते पुष्पदंताचार्य भये, ताका वर्तमान काल वर्ष तीस (३०) का भया, बहुरि ताकै पीछे तथा श्रीमहावीरपी0 छहसैं तिरेसठि (६६३) वर्ष गये भूतबल्याचार्य भये, ताका वर्तमान काल वीस (२०) वर्षका भया, ऐसे अनुक्रमसैं अनुक्रमतै भये बहुरि श्रीमहावीरस्वामीकू मुक्ति गयें पी, छहसैं तियांसी (६८३ ) वर्ष तांई पूर्व अंगकी परिपाटी चाली, फिरि अनुक्रमकरि घटती रही. और पूर्वोक्त अर्हद्दल्याचार्यादि पांच आचार्यका वर्तमान काल एकसो अठारह (११८) वर्षका है, इहांताई एकांगके धारी मुनि भये हैं, बहुरि ताकै पीछे श्रुतिज्ञानी मुनि भये, ऐसे आचार्यनिकी परिपाटी हैं. तथा च विक्रमप्रबंधे ॥ पंचसये पण्णटे अंतिमजिणसमयजादेस ॥ उप्पण्णा पंचजणा इयंगधारी मुणेयवा ॥१२॥ अहवल्लि माहणंदि य धरसेणं पुप्फयंत भूतबली ॥ अडवीसं इगवीसं उगणीसं तीस वीस पुण वासा॥१३॥ इगसयअठारवासे इगंगधारी य मुणिवरा जादा । छस्सयतिगसियवासे णिवाणा अंगछित्ति कहिय जिणे॥१४॥ इसका भावार्थ ऊपर लिख आए हैं... अब विचार करो कि श्रीवीरनिर्वाणसे ६८३ वर्षे धरसेन मुनि कहांसें आए ? भूतबलि पुष्पदंतको किसने बुलवाया ? भूतबलि पुष्पदंत कहांसें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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