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तत्वनिर्णयप्रासादऐापथिकीका भी उपधान ऐसेंही है. आदिकी, और अंतकी, दोनोंही नंदि तिसके-ऐर्यापथिकीके अभिलापसें करनी.। तहां वाचनामें आठ अध्ययन, और वाचना दो,-एक पांच पदोंकी और दूसरी तीन पदोंकी; पांच पदोंकी एक चूलिका ॥ “॥ इच्छामि पडिक्कमिडं इरिआवहिआए विराहणाए। १। गमणागमणे । २। पाणकमणे, बीयकमणे, हरियकमणे ।३। ओसाउत्तिंगपणगदगमट्टीमकडासंताणासंकमणे।४। जे मे
जीवा विराहिया ।५। यह एक वाचना, द्वादशम तपके पीछे देते हैं. ॥१॥
" ॥ एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया ।६। अभिहया, चत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, · परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।७। तस्स उत्तरीकरणेणं, पायच्छित्तकंरणेणं, विसोहीकरणेणं, विसल्लीकरणेणं, पावाणं कम्माणं निग्घायणट्टाए, ठामि का
उस्सग्गं । ८॥” यह दूसरी वाचना, आठ आचाम्लके अंतमें देनी.॥२॥ इसके पीछे ॥ "अन्नथ्थउससिएणं,नीससिएणं,खासिएणं,छीएणं, जंभाइएणं उड्डएणं, वायनिसग्गेणं, भमलिए, पित्तमुच्छाए।१। सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, सुहुमहिं खेलसंचालेहि,सुहुमेहिं दिठिसंचालेहिं । २। एवमाइरहिं, आगारेहिं, अभग्गो, अविराहिओ, हुज मे काउस्सग्गो । ३। जाव अरिहंताणं, भगवंताणं, न मुक्कारेणं, न पारोमि।४। ताव कायं, ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं, अप्पाणं वोसिरामि ।५॥" यह चूलिकाकी
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