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तत्त्वनिर्णयप्रासादइअ जावज्जीवं चिय सञ्चित्ताईण भोगपरिभोगा॥ एएसिं पुण संखं दिवसे दिवसे करिस्सामि ॥ ३४॥ इत्तिअमित्तं मणिकणयरूप्पमुत्ताइभूसणं अंगे ॥ इत्तिअमित्तं गीअं नहें वजं च उवभुजं ॥३५॥ वज्जेमि अहरुदं झाणं अरिघायवयरमाईयं ॥ दक्खिन्नाविसए पुण सावज्जुवएसदाणं च ॥ ३६॥ तह दक्षिणाविसए हिंसगांगहोवगरणाइदाणं च ॥ तह कामसत्थपढणं जूयं मजं परिहरेमि ॥ ३७॥ हिंडोलायविणोअं भत्तित्थीदेसरायथुइनिंदं ॥ पसुपक्खिजोहणं चिय अकालनिई सयलरयणी ॥३८॥ इच्चाइपमायाइं अणत्थदंडे गुणव्वए वजे ॥ वरिसे इत्तिअसामाइआइं तह पोसहाई इत्ताई ॥ ३९ ॥ इत्ताइं जोअणाई मह दिवसे दसदिसासु गमणं च ॥ सावण संविभागं भोयणवत्थाइसु करेमि ॥४०॥ पढम जईण दाउण अप्पणा पणमिऊण पारेमि ॥ असईई सुविहिआणं भुंजेमि अ कयदिसालोओ ॥४१॥ इअबारसविहमिमिणा विहिणा पालेमि सावगं धम्मं ॥ अगलिअजलस्सपाणं न्हाणं मरणेवि वजेमि ॥४२॥ कंदप्पदप्पनिट्ठीवणाइं सुअणं चउव्विहाहारं ॥ सजिणजिणमंडवंते विकहं कलहं च मुंचामि ॥४३॥ अमुगंमि महागच्छे अमुगस्स गुरुस्स सूरिसंताणे ॥ अमुगस्स सीसपासे पायंते अमुगसूरिस्स ॥४४॥ अमुगम्मि वच्छरे अमुगमासि अमुगम्मि पक्खसमयंमि ॥ अमुगतिथि अमुगवारे अमुगे रिक्खे अ अमुगपुरे ॥१५॥
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