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तत्वनिर्णयप्रासाद___“॥ ॐ नमश्चतुर्थकुलकराय श्वेतवर्णाय श्यामवर्णप्रतिरूपाप्रियतमासहिताय माकारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय अभिचंद्राभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ___ॐ नमः पंचमकुलकराय श्यामवर्णाय श्यामवर्णचक्षुःकांताप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय प्रसेनजिदभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ५॥
"॥ॐ नमः षष्ठकुलकराय स्वर्णवर्णाय श्यामवर्णश्रीकांताप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय मरुदेवाभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ६॥ "॥ॐ नमः सप्तमकुलकराय कांचनवाय श्यामवर्णमरुदेवाप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय नाभ्यभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥७॥ इतिकुलकरस्थापन पूजनविधि ॥
यह कुलकरस्थापना और परसमयमें गणेशमदनस्थापना, विवाहके पीछे भी सात अहोरात्रपर्यंत रखनी चाहिये। पीछे वरके घरमें शांतिक, पौष्टिक करे. और कन्याके घरमें मातृपूजा पूर्ववत् । तदपीछे विवाहकालसें पूर्व सात, नव, इग्यारह, वा तेरह, दिनोंमें वधूवरको अपने २ घरमें, मंगलगीतवाजंत्रपूर्वक, तैलाभिषेक और स्नान, नित्य विवाहपर्यंत कराना. । प्रथमतैलाभिषेकदिनमें, वरके घरसे कन्याके घरमें, तैल, शिरःप्रसाधनगंधद्रव्य, द्राक्षादि खाद्य शुष्कफल, भेजने। नगरकी औरतें वरके घरमें, और कन्याके घरमें, तैल, धान्य, ढोकन करें । वधूवरके घरकी वृद्ध नारीयों तिन तैल धान्यढोकनेवाली नारीयोंको, पूडे आदि पक्वान्न देवें । तहां धारणादि देशाचार, कुलाचारोंसें करना.। तैलाभिषेक, कुलकर गणेशादि स्थापन, कंकणबंध, अन्यविवाहके उपचारादिक सर्व, वधूवरको चंद्रबलके हुए, विवाहवाले नक्षत्र में करना. । तथा धूलिभक्त, कौरभक्त, सौभाग्यजलल्यावन प्रमुख, कर्म, मंगलगीतबाजंत्राधिसहित
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