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तत्वनिर्णयप्रासाद. आशीर्वादका देना, चौथेमें पुस्तक, और पांचवेमें जपमाला; वामे प्रथम हाथमें गंध सूंघनेकों कमल, दूसरेमें शंख, तीसरे हाथसें विष्णुकों आशीर्वादका देना, चौथेमें शास्त्र,और पांचमे हाथसें दाहने पगका पकडना, ऐसी मूर्ति धारण करी है. तथा अन्यरूपमें शिवजीने पार्वतीकों अर्धागमें धारण करी है, और अपने हाथसें लपेट रहे है. तथा शिवजीके दाहनेपासे ब्रह्माजी हाथ जोडकरके खड़े हैं, और वामेपासे विष्णु हाथ जोडके खडे हैं.
विष्णुकी और ब्रह्माजीकी मुद्रा तो प्रायः चित्रोंमें प्रसिद्धही है. शंक, चक्र, गदादिशस्त्र, और श्री (लक्ष्मी) जी सहित तो विष्णुकी; और चारमुख, कमंडलु जपमाला वेद पुस्तकादि चारों हाथोंमें धारण करे, ऐसी मुद्रा ब्रह्माजीकी है. परंतु योगीनाथ अरिहंतकी मुद्रा तो, किसीनेभी धारण नही करी है. ॥ २०॥ __ अरिहंतकी मर्ति.
शिवकी मूर्ति.
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बिष्णुकी मूर्ति.
ब्रह्माकी मूर्ति.
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