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________________ द्वितीयस्तम्भः। यथासंख्य उत्तर करके पूर्वतर नित्यही एक है, सो ऐसें ज्ञापन करता है कि, जो अनित्य है सो भी कथंचित् नित्यही है. और जो नित्य है, सो भी कथंचित् अनित्यही है. प्रकांतवादीयोंने भी एकही पृथ्वीमें नित्यानित्यत्व माना है. “ तथा च प्रशस्तकारः' पृथिवी दो प्रकारकी है. नित्या और अनित्या, परमाणु लक्षणा नित्या है, और कार्यलक्षणा अनित्या है. और ऐसे भी न कहना कि यहां परमाणुकार्य द्रव्यलक्षणविषय दो भेदोंसें एकाधिकरण नित्यानित्य नहीं है. क्योंकि, पृथिवीत्वका दोनों जगे अव्यभिचार होनेसें. ऐसें अप आदिकमें भी जानना. आकाशसें भी तिनोने संयोगविभाग अंगीकार करनेसें अनित्यत्व युक्तिसें मानाही है. तथा च स एवाह' शब्दकारणत्व वचनसें संयोगविभाग है. ऐसें निस्यानित्य दोनों पक्षोंको संवलितत्व है. और यह स्वरूप लेशमात्रसें ऊपर लिख आए हैं. प्रलापप्रायत्व परवादीयोंके वचनोंका इस प्रकारसें समर्थन करना योग्य है. वस्तुका प्रथम तो अर्थक्रियाकारित्व लक्षण है, सो लक्षण एकांत नित्य आनित्य पक्षोंमें घटता नही है. अप्रच्युत अनुत्पन्न स्थिरैकरूप जो नित्य है, सो क्रमकरके अर्थक्रिया करता है, वा अक्रम करके. परस्पर व्यवच्छेद रूपोंको प्रकारांतरके असंभव होनेसे तहां क्रम करके अर्थक्रिया तो नहीं करता है. क्योंकि, सो कालांतरभाविनी. क्रिया प्रथम क्रिया कालमेंही जबरदस्तीसें करे .समर्थको कालक्षेप करना अयोग्य है; कालक्षेपिको असमर्थ प्राप्ति होनेसें. जेकर कहेंगे समर्थ भी तिस तिस सहकारिके समवधानके हुए तिस तिस अर्थको करता है. तब तो सो समर्थ नहीं है. अपर सहकारिकी सापेक्षवृत्ति हो। नेसें. सापेक्ष जो है, सो समर्थ नही. इस न्यायसें जेकर कहोगे वो तो सहकारिकी अपेक्षा नहीं करता है. किंतु कार्यही सहकारिके न हुए, नही होता है, इस वास्ते तिनकी अपेक्षा करता है. तब तो सो भाव समर्थ है वा असमर्थ है ? जेकर समर्थ है तो काहेको सहकारीयोंके मु: खको देखता है ? जलदीही क्यों नही करता है ? पूर्वपक्षः-समर्थ भी बीज, पृथिवी, जल पवनादि सहकारीयोंकेसहितही अंकुरको करता है, अन्यथा नहीं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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