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________________ आत्मारामजी महाराज के सभी ग्रन्थ पुनः प्रकाशित करने लायक हैं, उससे बहुत बड़ा उपकार होगा' इन्हीं वचन के फलस्वरूप आज पूज्यपादश्रीजी के शुभाशीष से पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजय पुण्यपालसूरीश्वरजी महाराज के काबिल संपादन की निगरानी में तैयार किया गया 'सम्यक्त्वशल्योद्धार' ग्रंथ आपके करकमलों को शोभित कर रहा है । पूज्यश्री की इच्छा को मूर्त करने के लिए इस प्रकार हम भी निमित्त बने इनके आनंद के साथ शेष सभी ग्रंथ भी जल्दी से प्रकाशित हो, ऐसी कामना इस समय पर हम रखते हैं । वाचक को निवेदन है कि इस ग्रन्थ को पढ़ने के पहले ग्रंथकार और ग्रंथ के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतु ‘संपादकीय और प्रस्तावना' पढ़ने के लिए खास अनुरोध करते हैं, जिससे वाचक स्वयं ग्रंथ की विश्वसनीयता से परिचित होकर किसी अमूल्य चीज की प्राप्ति का आनंद और अनुभव कर सकेगा । जिनके आधार पर इस चतुर्थ आवृत्ति का संपादन-प्रकाशन शक्य बना है वे सभी आवृत्तियाँ प्रकाशित करनेवाली संस्था और संपादकों का हम हार्दिक आभार मानते हैं। इस अनुपम आवृत्ति का चित्ताकर्षक संपादन करनेवाले, धर्मतीर्थप्रभावक पू.आ.भ. श्रीमद्विजय मित्रानन्दसूरीश्वरजी महाराज के प्रभावकशिष्यरत्न वात्सल्यनिधि पू.आ.भ. श्रीमद्विजय महाबलसूरीश्वरजी महाराज के शिष्यरत्न प्रवचनप्रदीप पू.आ.भ. श्रीमद्विजय | पुण्यपालसूरीश्वरजी महाराज के हम अत्यंत ऋणी हैं। श्री झालावाड जैन श्वे.मू.पू.ट्रस्ट संघ - सुरेन्द्रनगर ने अपने ज्ञानद्रव्य के निधि में से इस ग्रंथ का प्रकाशन करके जो अनुमोदनीय लाभ लिया है, इनका अनुमोदन व अभिनन्दन करने के साथ अपेक्षा रखते हैं कि भविष्य में भी श्रीसंघ ऐसे लाभ लेते रहेगा। अंत में इस ग्रंथ के अध्ययन द्वारा भव्यात्माएँ जैनशासन को यथार्थ रीति से समझे, उसके तत्त्वों पर अडिग श्रद्धा बनाये रखें और यथाशक्ति उनका आचरण करके सभी मुक्ति को प्राप्त करें यही मंगल मनोकामना ! - पार्वाभ्युदय प्रकाशन - अहमदाबाद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003206
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Punyapalsuri
PublisherParshwabhyudaya Prakashan Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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